Book Title: Mahavira ki Bodh Kathaye Diwakar Chitrakatha 005
Author(s): Pushkar Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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सबसे बड़ा पुत्र देवदत्त दक्षिण दिशा की ओर चल दिया। कुछ दूर चलने पर वह एक नगर में पहुँचा। उसने सोचा-|
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मेरे पास धन है। पहले जिन्दगी का कुछ मजा ले लूँ। बाद में धन भी कमा लूँगा।
धीरे-धीरे उसकी सारी जमा पूँजी खर्च हो गई और वह कंगाल हो गया।
भगवान महावीर की बोध कथाएँ
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देवदत्त ने अपना धन आमोद-प्रमोद, मौज शौक में उड़ाना चालू कर दिया।
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दूसरा पुत्र शिवदत्त पश्चिम दिशा के रास्ते पर चलते-चलते एक गाँव में जा पहुँचा।
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वाह ! कितना सुन्दर गाँव हैं। कितनी शान्ति है यहाँ। मैं यहीं रहूँगा।
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