Book Title: Mahavira ki Bodh Kathaye Diwakar Chitrakatha 005
Author(s): Pushkar Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ हम सिर्फ शुद्ध स्वर्ण-रजत के आभूषण एवं मनोहा उतन ही नहीं बेचते, किन्तु हम देते भी हैं, जीवन को अलंकृत करने वाले मोती से उज्ज्व एवं हीरे से चमकदार शुद्ध विचार। आत्मा की आवाज राजा मेघरथ, (भगवान शान्तिनाथ पूर्वभव में) ने एक शरणागत कबूतर की रक्षा के लिए अपने शरीर के अंग-अंग काट कर दे दिये। ● निरीह मूक पशुओं का करुण क्रन्दन सुनकर नेमिकुमार का हृदय द्रवित हो उठा और वे विवाह के लिए सजे तोरण द्वार से बिना ब्याहे ही लौट गये। • महान् तपस्वी धर्मरुचि अणगार ने, चीटियों का नाश न होने देने के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की । श्रेणिक पुत्र महामुनि मेतार्य ने, शरीर एवं मस्तक पर बंधे गीले चमड़े की असह्य प्राणान्तक वेदना सहते हुए शरीर त्याग दिया- अपने निमित्त से होने वाली एक मुर्गे की हिंसा को टालने के लिए। सोचिए, विचारिए, आप और हम उन्हीं आत्म-बलिदानी, दयावीरों, धर्मवीरों, करुणावतारों की सन्तान हैं, फिर आज क्यों हमारी आँखों के सामने हमारी मातृभूमि पर, ऋषि मुनि तपस्वियों की तपो भूमि पर प्रतिदिन, हर सुबह लाखों, करोड़ों मासूम पंचेन्द्रिय प्राणियों की गर्दन काटी जाती है ? उनका रक्त बहाकर भूमि को अपवित्र किया जाता है उन्हें तड़पा-तड़पा कर दिल दहलाने वाली करुण चीत्कारों को अनसुना कर उनके शरीर के रक्त-मांस का क्रूर व्यापार किया जाता है ?? हैं !! मानव जाति की मित्र तुल्य, राष्ट्र की पशु सम्पदा पर क्रूर दानवीय अत्याचार हो रहे हैं और हम चुप इन राक्षसी कृत्यों को चुपचाप देखते सहते जा रहे हैं ? आखिर क्यों ? कहाँ सो गई हमारी करुणा ? क्यों मूर्च्छित हो गई है हमारी धर्म- बुद्धि ?? क्यों काठमार गया है, हमारे अहिंसक पुरुषार्थ को ?? उठिए ! संकल्प लीजिए ! अपने धर्म की, देश के गौरव की, मासूम पशु-पक्षियों की रक्षा कीजिए । उनकी हत्या, • हिंसा रोकने के लिए राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, नानक, गांधी के वीर पथ का अनुसरण कीजिए । जागिए ! जनता को जगाइए ! अहिंसा और करुणा की अनन्त शक्ति का चमत्कार पैदा कीजिए। करोंड़ों, करोड़ों जनता की एक पुकार । पशुओं पर नहीं होने देंगे अत्याचार | जहाँ विश्वास हो परम्परा है देश में बढ़ती हिंसा, कत्लखाने, शराबखाने बंद हो । हर घर में खुशी हो, हर व्यक्ति को आनन्द हो ॥ शाकाहार क्रान्ति के सूत्रधार रतनलाल सी. बाफना ‘नयनतारां' : सुभाष चौक, जलगाँव : फोन : २३९०३, २५९०३, २७३२२, २७२६८

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38