Book Title: Mahavira Vardhaman
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Vishvavani Karyalaya Ilahabad

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Page 18
________________ महावीर वर्धमान का जन्म १३ कुण्डग्राम नामक वैशाली के दो सुन्दर उपनगर अवस्थित थे; वर्धमान ने क्षत्रिय-कुण्डग्राम को अपने जन्म से पवित्र किया था। वर्धमान के पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का त्रिशला था; दोनों पार्श्वनाथ की श्रमणपरंपरा के अनुयायी थे। जिस रात्रि को वर्धमान त्रिशला के गर्भ मे अवतरित हुए त्रिशला ने चौदह स्वप्न देखे, जिन्हे सुनकर अष्टांग निमित्त जाननेवाले स्वप्नशास्त्र के पंडितों ने बताया कि सिद्धार्थ के घर शूरवीर पुत्र का जन्म होगा जो अपनी यशःकीर्ति से संसार को उज्वलकर जन-समाज का कल्याण करेगा। ___नौ महीने साढ़े सात दिन व्यतीत होने पर त्रिशला देवी ने प्रियदर्शन सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। पुत्र-जन्म का समाचार पाकर सिद्धार्थ की खुशी का ठिकाना न रहा। कारागृहों से कैदी छोड़ दिये गये, चीज़ों के दाम घटा दिये गये, नगर की चारों ओर से सफ़ाई कर जगह जगह सुगंधित जल का छिड़काव किया गया, सड़कें, चौराहे, गली, कूचे खूब सजाये गये, लोगों के बैठने के लिये गैलरियाँ बनाई गई, ध्वजाये फहराई गई, चूना पोतकर मकान श्वेत-स्वच्छ बना दिये गये, जगह जगह पाँच उँगलियों के थापे लगाये गये, चंदन-कलश रक्खे गये, द्वारों मे तोरण बाँधे गये, धूपबत्तियाँ जलाई गई; कही नट-नर्तकों का नाच हो रहा है, कहीं रस्मी का खेल हो रहा है, कही मुष्टियुद्ध हो रहा है, कही विदूषक हँसीठट्ठा कर रहे हैं, कहीं कथायें हो रही है, स्तोत्र पढ़े जा रहे हैं, रास गाये जा रहे हैं, और कहीं नाना वाद्य बज रहे हैं। इस प्रकार क्षत्रिय-कुण्डग्राम में दस दिन तक अपूर्व समारोह मनाया गया; दस दिन तक कर माफ़ कर दिया गया, प्रत्येक वस्तु बिना मूल्य बिकने लगी, राज-कर्मचारियों का जबर्दस्ती से गहप्रवेश रोक दिया गया, ऋण माफ़ कर दिया गया, जगह जगह गणिकाओं के नृत्य हुए, वादित्रों की झंकार से नगर गूंज उठा, श्रमण-ब्राह्मणों को दान-मान से सम्मानित किया गया, आनन्द और उत्साह की सीमा न रही, नगरी के सब लोग आनन्द-मग्न हो उठे।

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