Book Title: Mahavira Vardhaman
Author(s): Jagdishchandra Jain
Publisher: Vishvavani Karyalaya Ilahabad

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Page 17
________________ १२ महावीर वर्धमान व्यवस्था के लिये, गणतंत्र राज्य के लिये प्रसिद्ध थे, और इसीलिये बुद्ध ने भिक्षु-संघ के सामने लिच्छवि गणतंत्र को आदर्श की तरह पेश किया था, तथा भिक्षु-संघ के छंद (वोट) देने तथा अन्य प्रबन्धों की व्यवस्था में लिच्छवि गणतंत्र का अनुकरण किया था। जैन शास्त्रों के अनुसार चेटक वंशाली का बलशाली शासक था, जो काशी-कोशल के नौ लिच्छवि और मल्ल राजाओं का अधिनायक था। चेटक श्रावक (जैनधर्म का उपासक) था और उसकी सात कन्याये थीं। इन में से उस ने प्रभावती का विवाह वीतिभय के राजा उद्रायण के साथ, पद्मावती का कौशांबी के राजा शतानीक के साथ, शिवा का उज्जयिनी के राजा प्रद्योत के साथ, ज्येष्ठा का कुण्डग्रामीय महावीर के भ्राता नन्दिवर्धन के साथ, तथा चेलना का राजगृह के राजा श्रेणिक के साथ किया था; सुज्येष्ठा अविवाहिता थी और उसने दीक्षा ग्रहण कर ली थी। चेटक की बहन त्रिशला का विवाह कुण्डपुर के गणराजा सिद्धार्थ से हा था। चम्पा के राजा कणिक और चेटक के महायुद्ध का वर्णन जैन ग्रन्थों में आता है जिस में लाखों योद्धाओं का रक्त बहाया गया था। बौद्धधर्म में भी वैशाली का बड़ा गौरव है। यही बुद्ध ने स्त्रियों को भिक्षुणी बनने का अधिकार दिया था और यही उन्हों ने अपना अन्तिम चौमासा व्यतीत किया था। महावीर के वैशाली मे बारह चातुर्मास बिताये जाने का उल्लेख कल्पसूत्र में आता है। वज्जी देश के शासक लिच्छवियों के नौ गण थे। इन्ही का एक भेद था ज्ञातृ' जिस में स्वनाम-धन्य वर्धमान का जन्म हुआ था। वैशाली में गंडकी (गंडक) नदी बहती थी जिस के तट पर क्षत्रिय-कुण्डग्राम और ब्राह्मण 'प्रावश्यक चूणि २, पृ० १६४ इत्यादि । दिगंबर मान्यता के अनुसार चेटक की पुत्रियों आदि के नाम जुदा हैं संभवतः बिहार में भूमिहारों की जथरिया जाति (राहुल सांकृत्यायन, पुरातत्त्व निबंधावलि, पृ० १०७-११४)

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