Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva Author(s): Kasturchand Kasliwal Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur View full book textPage 7
________________ (viii) हैं, साथ ही एक विशद परिचयात्मक और विवेचनात्मक भूमिका देकर इन ग्रन्थों के सभी परियाश्यों का उद्घाटन कर दिया है । ब्रह्म रायमल्स सूर-तुलसी के युग के कवि हैं । इस युग के जैन कवियों के सम्बन्ध में इस 'प्रथम पुष्प' के विद्वान् सम्पादक के ये शब्द महत्वपूर्ण हैं : " बर्षों में जनजि भी पाप सवार हुए प्रोर वे भी देश में व्याप्त भक्ति धारा से प्रचते नहीं रह सके। उनकी कृतियां भी भक्ति रस में प्राप्लाक्ति होकर सामने पायी और इस दृष्टि से भट्टारक शुभचन्द्र पाण्डे राजमल्ल, भट्टारक वीरचन्द, सुमतिकोति, ब्रह्म विद्याभूषण, ब्रह्म रायमल्ल, उपाध्याय साधुकोति, भीखम कवि, कनक सोम, वाचक मालदेव, नवरंग, कुशल लाभ, सकलभूषण, मादि के नाम उल्लेखनीय हैं। इन कवियों ने रास फाग, वेलि, चौपाई एवं पदों के माध्यम से हिन्दी साहित्य की महती सेवा की है। इन कवियों में से हम सर्वप्रथम ब्रह्म रायमल्स का परिचय उपस्थित कर रहे हैं, क्योंकि संवत् १६०१ से १६४० तक की अवधि में ब्रह्म रायमल्ल हिन्दी के प्रतिनिधि कवि रहे है।" डा कासलीवाल को उक्त सूची को और संबंधित किया जा सकता है, उन उल्लेखों के प्राधार पर जो जहां तहां हुए हैं । ऐसी सूची में ये कवि स्थान पा सकते हैं : १-तस्तमल्ल, २-कल्याए देव, ३-बनारसीदास, ४-मालदेव , ५-विजयवंत सूरि, सदयराज, ७-ऋषभदास, ८-रायमल्ल ब्रह्मचारी (मिश्र बंधुनों के अनुसार इनके अन्य हैं : भविध्यदत्त चरित्र पौर सीताचरित्र तथा रचना काल १६६४, विबरणसकलचन्द्र भट्टारक के शिष्य थे) । -रूपचन्द, १०-हेमविजय, ११-विद्याकमल, १२-समय सुन्दर उपाध्याय । सूर-तुलसी युग के इन जन कवियों की सूची में नयी खोज रिपोर्टों से तथा अन्य खोजों से और नाम भी बढ़ाये जा सकते हैं। हमने जो सूची दी है उसमें रायमल्ल ब्रह्मचारी का नाम आया है। यह मित्र बन्धु विनोद की लेखक संख्या ३५७ के कवि है। इन्हें मिथ बन्धुषों ने 'सकसचन्द्र भट्टारक का शिष्य बताया है । डा० कासलीवाल ने इस ग्रन्थ की भूमिका में सो बता दिया ! कि ब्रह्म रायमल्ल में ब्रह्म का अभिप्राय 'ब्रह्मचारी' से ही है। मतः रायमल्ल ब्रह्मचारी और ब्रह्मरायमल्ल में अभेद विदित होता है। डा. कासलीवाल ने इस भूमिका में विवृत्तापूर्वक यह भी सिद्ध कर दिया है कि ये ब्रह्म रायमल्ल गुजराती ब्रह्मरायमल्ल से भिन्न है। गुजराती ब्रह्म रायमल्ल संस्कृत के विद्वान थे।Page Navigation
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