Book Title: Lokprakash Part 01
Author(s): Padmachandrasuri
Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 4
________________ सादर-समर्पण राज्य दादा गुरुदेव “चरण-कमलों में ५० पू० आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वर जी जिनका जीवन सूर्य समान प्रखर था, मन चन्द्र समान सौम्य था, आचार स्वर्ण समान निर्मल था, विचार सागर समान गंभीर था, वाणी आध्यात्म युक्त थी. संयम साधना में वज्र समान कठोर जन जन के प्राण, युग प्रवर्तक, युगाधार, युग गौरव, विश्व वंदनीय, जैनाचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वर जी म० सा० (प्रसिद्ध नाम श्री आत्माराम जी) के चरण-कमलों में अतीव श्रद्धा-भक्ति पूर्वक सादर समर्पित चरण रेणु आ० श्रीमद् विजय पद्म चन्द्र सूरी

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