Book Title: Laghustotra Ratnakar
Author(s): Hemendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 226
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १८५) कूजत्कोदण्डकाण्डेोडुमरविधुरितक्रूरघोरोपसर्ग, दिव्यं वज्रातपत्रं प्रगुणमणिरयत्किङ्किणीक्वायरम्यम् । भास्वद् वैडूर्यदण्डं मदनविजयिनो विभ्रती पार्श्वभर्तुः, सा देवी पद्महस्ता विघटयतु महाडामरं मामकीनम् ॥ ३ ॥ भृङ्गी काली करा ली परिजन सहिते ! चण्डि ! चामुण्डि ! नित्ये !, चाँ चाँ चूँ चाँ क्षणार्द्धचतरिपुनिवहे ! हाँमहामन्त्रवश्ये ! ॐ ह्वाँ ह्रीं घूँ भङ्गसङ्गभ्रकुटिपुटतटत्रासितोद्दामदैत्ये !, C ँ झ झी झैँ झौ प्रचण्डे ! स्तुतिशतमुखरे ! रक्ष मां देवि ! पद्मे ॥४ चञ्चत्काञ्चीकलापे ! स्वनतटविलुठत्तारहारावलीके !, प्रोत्फुल्लत्पारिजातद्रुमकुसुम महामञ्जरी पूज्यपादे ! | ड्राँ ह्री क्ली ब्लूँ समेतैर्भुवनवशकरी चोभिणी द्राविणी त्वं, ॐ हूँ यो पद्महस्ते ! कुरु कुरु घटने रच मां देवि ! पद्मे ! ५ लीलाव्यालोलनीलोत्पलदलनयने ! प्रज्वलद्वाडवाग्नित्रुट्यज्ज्वाला स्फुलिङ्गस्फुरदरुण कणोदग्रवज्जा ग्रहस्ते ! | हाँ ड्राँ हूँ ह्रौं हरन्ती हर हर हर इंकारभीमैकनादे 1, पद्मे ! पद्मासनस्थे ! अपनय दुरितं देवि ! देवेन्द्रबन्धे ! ॥ ६ ॥ कोपं वं झं सहसः कुवलयकलितोद्दामलीलाप्रबन्धे 1, ह्री हृ' पचवीजैः शशिकरधवले ! प्रचरत्वीरगौरे 2, ब्यालन्याबद्धकुटे ? प्रबलबल महाकालकूटं इरन्ती, हाहा हुंकारनादे ! कृतकर मुकुलं रच मां देवि ! पद्मे ! ॥७॥ For Private And Personal Use Only

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