Book Title: Laghustotra Ratnakar
Author(s): Hemendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 252
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२११) योगनिष्ठश्रीमद्-बुद्धिसागरसूरीश्वरगुणाष्टकम् (पञ्चचामरच्छन्दः ) अशेषकर्मदारकं विशेषशर्मदायक, विषादकोटिहारकं प्रभूतसम्पदाकरम् । सुबुद्धिसिद्धियोजकं सुभक्तिनम्रचेतसां, ___ नमामि मूरिपुङ्गवं मुनीशबुद्धिसागरम् ॥ १ ॥ कलौ मलौघनाशनकबद्धलक्षलक्षितं, क्षितीन्द्रलक्षसन्नतप्रफुलरादपङ्कनम् । जनेषु जैनतत्त्वबीजरोपणैकमानसं, नमामि मुरिपुङ्गवं मुनीशबुद्धिसागरम् ।। २ ।। युगादिनाथसाधितार्थसार्थकत्वसाधक, परात्मभेदकाऽऽत्मभेदभिन्नताविकासकम् । सुयोगमार्गमार्गणोद्यतप्रचण्डतेजसं, नमामि मूरिपुङ्गवं मुनीशबुद्धिसागर ॥ ३ ॥ समस्तलोकसंस्तुतं मुनीन्द्रवृन्दलालितं, गुणिवजैः सुचिन्तितं स्वकीयमानसाम्बुजे । सुभव्यमानवा भजन्ति यत्क्रपाम्बुजं सदा, नमामि मुग्पुिङ्गवं मुनीशबुद्धिसागरम् ॥४॥ For Private And Personal Use Only

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