Book Title: Laghustotra Ratnakar
Author(s): Hemendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 241
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (200) यं देवासुरमानवेन्द्र निकरा भक्त्योल्लसन्मानसा,esनन्तकृपामयं शिवसुखं संसाधयाञ्चक्रिरे । द्वन्द्वातीतमहर्निशं समतया तं तस्थिवांसं प्रभुं भूभूषाऽर्बुदभूषणं भवभिदं नौम्यादिनाथं मुदा ॥ ७ ॥ नित्यप्रसन्नाननपङ्कजश्रियं, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यः सन्ध्याभ्रसमं निरीक्ष्य विभवं सांसारिकं सत्वरं, जग्राहाऽशिवशान्तये शिवपथप्रख्यापनेऽदुर्बलाम् । दीक्षां भागवतीं तमद्भुतयशोराशि कृपावैभवं, भूभूषाऽर्बुदभूषणं भवमिदं नौम्यादिनार्थं मुदा ॥ - " श्री अर्बुदाचलश्रीशान्तिनाथस्तवनम् समानभावं विमलप्रभावम् । निरामयं सामयशान्तिदायकं, श्री शान्तिनाथं प्रणमामि नित्यम् निशान्तमारोग्यसुसंपदानां, सुधागृहं संसृतितप्तचेतसाम् | भानुप्रभं मोहतमः स्थितानां, विशुद्धधर्मार्थजुषां नतानां, शान्तिप्रियं शान्तिजिन स्मराम्यहम् And निस्तारकं तारकर राजसुप्रभम् । For Private And Personal Use Only ॥ १ ॥ ॥ २ ।।

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