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लघुविद्यानुवाद
- तृतीय खंड (ब)
४४६ ४५६ ४६८
(पृष्ठ ४०१ से ६०८) इस खण्ड मे मगलाचरण
४०१ 8 अथ श्री पद्मावती स्त्रोत (विधि न०१ यत्र मत्र विधि) ४०६ 9 श्री पद्मावती देवी स्तोत्र यत्र मत्र विधि सहित वहद काव्य न.६ ४१० 6 श्लोक न २ के यत्र मत्र विधान यत्र मत्र विधि सहित काव्य न २ ४१८
वृहद (यत्र मत्र) @ श्लोक न ३ वृहद
४४७ ॐ माला मत्र, माला मत्र का पाठान्तर भेद 6 यत्र नं ४ वृहद 6 श्लोक न ५ वृहद, श्लोक न. ३ की विधि श्त्रोक न ६ के यत्र मत्र, काव्य न ६ वृहद
४७० ॐ श्लोक न ७ के यत्र मत्र, काव्य न ७ बृहद, एव
४७७ श्लोकार्थ यत्र मत्र विधि @ श्लोक न. ८ के यत्र मत्र, काव्य न ८ वहद (यत्र रचना व फल)
४८७ ॐ काव्य न ६ (यत्र रचना व फल)
४६१ ॐ काव्य न १० (यत्र रचना व फल)
४६५ काव्य न ११ (यत्र मत्र रचना व फल)
काव्य न. १२ (यत्र रचना व फल) A) काव्य न १३ (यत्र रचना व फल)
५०२ AS काव्य न १४ (यत्र मत्र रचना व साधन विधि)
५०५ ES काव्य न १५ (यत्र रचना व मत्र साधन विधि)
५०८ RAJ काव्य न.१६ (यत्र रचना व मत्र साधन व फल)
५११ A श्री चक्रेश्वरी देवी स्तोत्र, यत्र मत्र विधि सहित
५२६ @ विभिन्न प्रकार के रोग एव कष्ट निवारण यत्र
५४६ ® अथ घण्टा कर्ण मत्र सक्षेप विधि सहित
५७७ AY पचागली यत्र मत्र की साधन विधि (चित्र सहित)
५८३ ॐ ज्वालामालिनी यन्त्र विधि
५८६ O ऋपि मण्डल यन्त्र विधि
५८४ AS विभिन्न कष्ट निवारण यन्त्र
५६१ AS भजन
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