Book Title: Laghu Vidhyanuvad
Author(s): Kunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
Publisher: Shantikumar Gangwal

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Page 746
________________ ६६० लघुविद्यानुवाद रविपुष्यामृत नक्षत्र मे सफेद पाकड़े को जड को लेकर दाई भुजा मे वाधने से व्याध का स्तम्भन होता है। एकाक्षी नारियल कल्प मन्त्र :--ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं एकाक्षाय श्रोफनाय भगवते विश्वरूपाय सर्व योगेश्वराय त्रैलोक्यनाथाय सर्वकार्य प्रदाय नमः । पूजन विधि -प्रथम हस्त मे पानी लेकर सकल्प करे--अत्राद्य सवत् मिलादे महामगलाय फलप्रद अमुकमासे अमुक पक्षे अमुकतिथौ अमुक वासरे इष्ट सिद्धये बहुधन प्राप्तये एकाक्षि श्रीफल पूजन मह करिस्यामि । इस प्रकार कहकर पानी छीटे फिर उपर्युक्त मन्त्र को बोलते हुए श्रीफल का पचामृताभिपेक करे, अष्ट द्रव्य चढावे, रेशमी वस्त्र प्रोढाए, पूजन करे । उसके बाद सोने की व मू गे को अथवा रुद्राक्ष की माला से जप शुरू करे। जप १२५०० हजार हो जाय, फिर नित्य प्रति एक माला फेरे, दीवाली, सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय पूजन करे। मन्त्र :-ॐ ह्री श्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मी स्वरूपाय एकाक्षिनालिकेराय नमः सर्वसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा। यह मन्त्र रेशमी कपडे पर अष्टगन्ध से अथवा केसर से लिखा । अनार की कलम से उस वस्त्र के ऊपर एकाक्षि श्रीफल रखा मन्त्र से प्रात और सध्या को प्रष्ट द्रव्य से पूजा करे, मूल मन्त्र की एक माला फेरे । मन्त्र :-ॐ ऐं ह्री ऐ ह्रीं श्री एकाक्षिनालिकेराय नमः । इस मन्त्र की एक माला फेरे, गुलाब के फूल १०८ चढावे । मन्त्र :-ॐ ह्रीं ऐं एकाक्षिनालिकेराय नमः। इस मन्त्र की १० माला पाच दिन तक प्रतिदिन फेरे तथा कनेर के २१ फूल चढायें । जिज्ञासित को स्वप्न मे उत्तर प्राप्त होगा।

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