Book Title: Laghu Vidhyanuvad
Author(s): Kunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
Publisher: Shantikumar Gangwal

View full book text
Previous | Next

Page 760
________________ ६७४ लघुविद्यानुवाद लहसुनिया कीन धारण करे -लहसुनिया, केतु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। केतु की दशा मे इसे __धारण करना लाभप्रद है। धारण विधि -३, ५ या ७ कैरट का लहसुनिया धारण करना चाहिये । २, ४, ११ या १३ रत्ती का निपिद्ध है । इसको चादी मे जडवाकर अर्द्ध रात्रि मे धारण करना चाहिये। लहसुनिया को धारण करने का निम्नाकित मन्त्र है - ॐ केतुं कृप्वन्न केतवे पेशोमा अयेषसे । समुद्धिरजायथा. । ॥०॥ श्वेतार्क कल्प विधि :-शनिवार के दिन वृक्ष के पास न्योता देने जाये तो सर्वप्रथम "मम कार्य सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा" यह मन्त्र वृक्ष के सामने हाथ जोडकर बोले और चन्दन, चावल, पुष्प, नैवेद्य से पूजन करे, धूप दे और मोली बाधकर आ जाये। दूसरे रोज रवि पुष्य नक्षत्र को सुबह से पहले २ वृक्ष के पास नहा धोकर शुद्ध वस्त्र पहनकर जाये और निम्न मन्त्र बोलकर वृक्ष को जड को घर ले आवे । जड पूर्व या उत्तर की और मुह करके लेनी चाहिये । मन्त्र :-ॐ नमो भगवते श्री सूर्याय ह्रां ह्रीं ह्र ह्रः ॐ संजु स्वाहा । इस मन्त्र से मूल को लाकर पचामृत से धोकर ऊँचे व शुद्ध स्थान पर रख दे, तत्पश्चात् पुष्य नक्षत्र रहने उस जड से भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति बनावे व निम्नलिखित मन्त्र से पूजा करे । इससे श्री गौतम गणधर जी की मूर्ति भी बनाई जाती है व गणेश जी की भी। मन्त्र :-ॐ नमो भगवति शिव चक । मालिनी स्वाहा। उपरोक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर फिर किसी भी कार्यवश साथ में लेकर जाये तो अवश्य सफल हो । इस सम्बन्ध मे निम्नाकित बाते और ज्ञातव्य है - (१) जहा सफेद आक होता है कहते है कि वहा आसपास गडा हुआ धन होना चाहिए। (२) सातवी ग्रथि मे ऐसी गाठ पडती है कि उससे गणेशजी की स डवालो आकृति बनती है। यदि दक्षिणावर्ती सू डवाली प्राकृति के श्रीगणेश मिल जाये, तो बहुत चमत्कारी होती है। (३) पुरुष के दाहिने हाथ और स्त्री के बाये हाथ मे इसे बाधने से सौभाग्य व लाभ होता है। ऐसा माना जाता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774