Book Title: Laghu Vidhyanuvad
Author(s): Kunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
Publisher: Shantikumar Gangwal

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Page 768
________________ ६८२ अथ - नागफणी की जड लेना, हथिनी का मूत्र लेना, उसमे सिदूर मिलाकर घोटना फिर उस द्रव्य को अग्नि मे धोकना तो सोना बनता है, यदि पुण्ययोग हुआ तो । (७) लघुविद्यानुवाद (६) शुद्ध हिगुल का एक तोले का डला लेकर उस हिगुल के डले को गोल बेगन काला वाला को चीरकर उसमे हिगुल को रखकर ऊपर से कपडा लपेट कर फिर मिट्टी का उस बेगन पर खूब गाढा लेप करे, फिर उस बेगन को जगली कडो के अन्दर रखकर जलावे, जब कण्डो की अग्नि जलकर शान्त हो जावे तब उस बेगन को निकाले । बेगन के अन्दर से उस हिगुल के डले को निकाल लेवे । इसी तरह क्रमश १०८ बेगन मे उस हिगुल के डले को फूके । यह रसायन तैयार हो गई । इसी रसायन में से एक रती लेकर एक तोला ताबे के साथ मिलाकर कुप्पी मे गलावे तो एक तोला सोना तैयार हो जाएगा, लेकिन णमोकार मन्त्र का संतत जंप करना होगा || (ह) ' (१०) (5) कर्ड होय अर्द्ध मेली होय मागुनी पानी करने एक तोल मास दाने तोले रूप मिलविणे धवल शुद्ध होय हा एक तोल्या चा अनुपान । लोहे के लुपा चेउघा चेपक्का सेर दुधाचेमा लोल सारख त्याल सेराचा दुधत्या भर मिलाउन सख्या समोल तोले ६ श्रात घालणे घोडयाची चूल करणे वर लोट के ठेव ने शनसेनी अग्निदेवी रुचिक आटवने मगपुरे करने म्हणजे कल्क झाला जतन ठेवणे तोला १ लॉव्या चेपानी करणे रसफिरो लागलाम्हण जे सामध्ये श्रर्द्ध मासा कनकणे काटकाणे समरस करणे हालवने भुसीस धमकव ने से नाचे मुसील बोलने घंड झा ल्यावर काढने म्हणजे शुद्ध धवल होय || इति ॥ い लाल फूल वटो लापान बहुत होय है । रानोरान जडमूल का किया थाना । नाथ कहे कथील हुआ रूपा वंटोल पान सफेद फूले येफे लासव ही रान एक थेव से पारा मारू नाथ कहे, कचन रूप । ततोला १ पाढया व सूच्या भावना सात देणे मग पत्र करण कटक वेधनी ताडन रसान सिजवे म्हण जे एक फुट जाले मागु ते लाडन सिजवने म्हण जे पुटि २ झाले मागुते लाडन एसे पुट सात देणे मगपुरे करणे मग एक मुसोत घालोन कोलसा वर ढेऊन कोल से पेटवा वे त्याचे पानी करणे रस वरापि घलला म्हणजे मग काही थोडा बहुत मुस थोडी बहुत थंड झाल्या वर रस जो मुसीर ढले सरल तो त्या मध्ये पारा तोला १ मेलवने पारा व जस्त तत क्षण एक होती मग ते खला मध्ये बारीक करून

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