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लघुविद्यानुवाद
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सर्व करो मन्त्र मन्त्र :--ॐ नमो सुग्रीवाय वार्षिके सौम्ये बचताय गोरीमुखी देवी शूलनी ज्जं २
चामुडे स्वाहा । विधि :--उपरोक्त मन्त्र से कनेर डाली को ७ बार मन्त्रीत कर, उखल मे डालकर मूसल से कूटे
जैसे २ कूटे वेसे २ योगिनी भूत का ताडन होता है। लेकिन प्रताडन मन्त्र को १०८ बार जपना चाहिये।
यन्त्र रचना - (३) ॐकार देवदत्त, गभित करके ऊपर चतुर्दल वाला कमल बनावे, उस चतुर्दल मे ॐ
मुनि सुव्रताय लिखे, उपर एक बलय बनावे उस वलय को हरहर से वेष्टित करे । ऊपर फिर एक वलय बनावे, उसमे क ख ग घ ड, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द धन, प फ ब भ म, य र ल व श, ष स ह क्ष, लिखे । ऊपर से ह्रीकार से यन्त्र को तीन
घेरे से सहित बनावे । ये यन्त्र रचना हुई, चित्र न ३ देखे । विधि :-केशर अथवा गोरोचन से भोज पत्र पर लिखकर धारण करने से मारण कर्म का नाश
होता है। (४) वकार मे देवदत्त, गभित करे, ऊपर चार पखुडी का कमल बनावे उन पाखड्यो मे
वकार की स्थापना करे । फिर ऊपर पाठ दलो का कमल वनावे, उन आठ दनो मे उकार की स्थापना करे । यह हुआ यन्त्र का स्वरूप । यन्त्र न ४ देखे । यन्त्र धारण करने से
वशीकरण दूर होता है। (५) ह्रीकार मे देवदत्त, गभित करे, फिर आठ दल का कमल बनाकर उसमे वकार की
स्थापना करे, ऊपर ह्रीकार से बेष्टित करे । ये हुई यन्त्र रचना । यन्त्र न. ५ देखे । विधि .-इस प्रकार यन्त्र को केशर, गोरोचन से भोपजत्र पर लिख कर धारण करे तो दुष्ट लोगो
के द्वारा किया हुमा वशीकर उपद्रव शात होता है । (६) ह्रीकार मे देवदत्त गभित करके, ऊपर अष्ट पाखुडी का कमल बनावे, फिर प्रथम क्षा
लिखे। फिर देवदत्त फिर क्षी फिर झू फिर ही लिखे । यह यन्त्र का स्वरूप वना ।
यन्त्र न ६ देखे । विधि --यन्त्र केशरादि द्रव्यो से भोजपत्र पर लिखकर धारण करने से मुख से प्रसव होता है।