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लघुविद्यानुवाद
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मन्त्र :-ॐक्षा ॐ क्षों ॐ क्षुॐ क्षः स्वाहा ।
इस मन्त्र को पढ़ते हुये शत्रुओं के सामने जाने से शत्र मित्र के समान होता है, इसमे कोई सन्देह नही ।।१४॥ पद्मावति स्थापना यन्त्र को दीपमालिका की पहली रात्रि, कालि चतुर्दशी को अष्टगध से सुवर्ण पत्र पर लिखकर उस यन्त्र के ऊपर पद्मावतीजी की मूर्ति स्थापन कर (ब्रह्माणी कालरात्रि) इस श्लोक का का ल चतुर्दशी को पूर्ण रात्रि पाठ करे, थोडी भी निद्रा न लेवे, उसके दोपमालिका की रात्रि को अष्ट प्रकार से पूजा करे, दशास होम दशाग धूप से करे तो अाकाशगारणी होती है। फिर यन्त्र को मस्तक या भुजा मे धारण करने से अनेक कार्य सिद्ध होते है। नान्यथा, यह गुरूओ की कृपा से है।
श्लोक नं० १४ यन्त्र न० १
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चतुर्मुख यन्त्र