Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan Author(s): Chandrita Pandey Publisher: Ilahabad University View full book textPage 5
________________ है। यही नहीं अपनी मातृस्वरूपा सात श्रीमती इसराजी देवी के प्रति भी आभार व्यक्त करना मेरी ता होगी, जिन्होंने मुझे 'गृहकारज नाना जंबाला' के 'विषम व्यूह' से मुक्त करके अपना चिरस्मरणीय सहयोग, प्यार एवम् आशीर्वाद प्रदान किया है । अन्यथा प्रकृत शोध-प्रबन्/ प्रस्तुत कर पाना सम्भव न हो पाता । 'ज्ञानपंथ' की 'अथ से इति' तक की इस धरत्यधारा निषिता दुरत्यया' सदृश दुर्गमयात्रा के सफल समापन में गुस्वर्य डॉ रामकिशोर शास्त्री ने विषय को बोधगम्य बनाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है । प्रदेय गुस्नी ने विष्य-चयन से लेकर शोधप्रबन्ध की पूर्णाहुति तक मेरा सफल मार्ग-निर्देशन किया, जिसके लिए मैं हृदय से दावनत हूँ। • व्याकरण की दुर्गम वीथियों में कने से बचाने का कार्य अभिनव पाणिनि 'काशी विद्वत्परिषद के अध्यक्ष, भूतपूर्व व्याकरण विभागाध्यक्ष एवम् वेदवेदाङ्ग संकायाध्यक्षा, संस्कृत विश्वभारती एवम् राष्ट्रपति पुरष्कृत सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के सम्मानित प्रोफेसर डा0 रामप्रसाद त्रिपाठीजी ने किया। जिनसे में जन्म-जन्मान्तरपर्यन्त अनृण नहीं हो सकती । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष एवम संस्कृत जगत् की आधुनिक परम्परा के मूर्धन्य मीधी प्रोफेसर सुरेशचन्द्र श्रीवास्तव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन मेरा पुनीत कर्तव्य है, जिनका उदार हृदय जिज्ञासुमन की तृप्ति हेतु अहर्निश खुला रहाPage Navigation
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