Book Title: Kitab Charcha Patra
Author(s): Shantivijay
Publisher: Dolatram Khubchand Sakin

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Page 32
________________ चर्चापत्र. . तीनघंटेलगजावे, फिर धर्मशास्त्र काबाचे ? इसपर दलिचंद सुखराज लिखते है, तीनघंटेका बहाना बतलाते है, यह गप्पहै, (जवाब.) गप्पनहीं, सचहै, बल्कि ! बंबइ-सुरत-बडोदा-अहमदाबाद-करांची-मुलतान-लाहोर-अमृतसर-देहली-आगरा-लखनऊ-बनारस-कलकत्ता-नागपुर-दखनहैदराबाद-मद्रास--गलोर और-पुनावगेराशहरोमें आर जैनमुनि-बहारशहरके-दिशाजंगलजावे तो-तीनघंठे क्याछहघंटेलगे औरफिरभी जगह-ज-मिले, शांतिविजयजी-स्थंडिलभूमिकेये-कभी बहारभी-जाते है, और कभी शहरमें अलग बंधीहुइजगहमेंभी जाते है, शांतिविजयजी किसीबातको उडाते नहीं, उनकाबरताव जाहिरहै, देखलो ! तुमारे चर्चापत्रपर किसकदर माकुल जवाबदियेहै,(पेस्तरकेजैनमुनियोकाठहरना-उद्यान बनखंडमेंहोताथा.) ४३-भेने-जो-पेस्तर तेइससवालोके जवाबमें लिखाथा-पेस्तरके जैनमुनि-उद्यान-बनखंड-बागबगीचे-या-पहाडोकीगुफामेरहतेथे, यह बहुतठीकलिखाथा, जैनशास्त्रोंमें हरजगह पाठहैकि-अमुक जैनमुनिअमुकजगहपरपधारे, और अमुकबागमें ठहरे,.. F[ज्ञातासूत्रके पांचमें अध्ययन में लिखाहै,-] तएणं थावच्चापुत्ते णाम अणगारे सहस्सेणं अणागारेसद्धिं जेणेव सेलगपुरे जेणेव सुभूमिभागे णामं उजाणे तेणेव समोसहे,- . देखलो ! इसपाठमें साफबयानहै, थावचापुत्र अणगार एकहजार जैनमुनियोकेशाथ सेलगपुरनगरके बहार सुभूमिभागनामके उद्यानमें आनकरठहरे, फिरइसीज्ञातासूत्रके छठेअध्ययन लिखाहै, तीर्थकरमहापीरस्वामी राजगृहीनगरीकेवहार गुणशिलनामके बागमेंआनकर सम

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