Book Title: Kitab Charcha Patra
Author(s): Shantivijay
Publisher: Dolatram Khubchand Sakin

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Page 37
________________ जेसिंग - सांकलचंदके लेखकाजवाब. ३५ शांतिविजयजी जब शहरधुलियेके टेशनपर आयेथे, धुलि येके जैन श्वेdiet श्राचकोने - वेंडबाजावगेरा जुलुसके पेशवाई किइथी ? अगर शांतिविजयजीका बरताव मुनिधर्म से विरुद्धहोता-तो-जैसी भक्ति क्यों करते, ? शांतिविजयजीका बरताव मुताविकमुनिधर्म के है, जभीतो- उनको हिंद गांवगांव और शहरशहरमें माननेवाले श्रावक मौजूद है, तो तीर्थंकरदेवोकोमी कइलोग तीर्थंकरतरीके नही मानते थे, इसी तरह शांतिविजयजीकोभी किसी ने साधुतरीके नहीमाने तो क्या हुवा? जिसकी मरजीहो -आने, जिसकीमरजी - न-हो-न-माने, शांतिविजयजी - जिस श्रावक श्रावकके (२१) गुग और (१२) व्रतमौजूदहो, उसको श्रावकतरीके मानते है, - ३ – फिर जेसिंग - सांकलचंद बेहरीरकरते है, शेठ दलिद खीसरा तर्फथी जेजे प्रश्नोछवामां आवेल, तेनो जवाप बीजातफैथी प्रगटकराव्योछे, ते लेख-मने सत्ययी वेगलोजणायार्थ जाहिर खुलासा करवानो विचारथयो. - (जव(ब.) चाहे जितने कोइ जाहिरखुलासे करे, मेरेपास माकुलकी कुछकमीनही, कइमहाशयो के सवाल मेरेपास आते हैं, और- में - जवाब देता हूं. तुमारेजाहिर खुलासेका जवाब देना कौंनमुलिंबात थी ? दलिबंद - खीवेस राके (२३) सवालो के जवाब पेस्त रदिये थे और उनोने उसपर फिरभी जोकुछ लिखा था उसका जवाबभी मेरी तर्फ से दिया हुवा इस किताबको शुरुमेदर्ज है, बखूबी देखलो ! मेरालेख सत्यसे दुर है जैसाको साबीत करे, शांतिविजयजी इरादेव. के रैलमेंटते है, -तोभी हरेक शहरकेश्रावक उनको मानते है, भक्ति करते है, और चौमासका विनतिकरते है यहभीएक ताज्जुब की बात है - या नहीं ? -

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