Book Title: Kitab Charcha Patra
Author(s): Shantivijay
Publisher: Dolatram Khubchand Sakin

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Page 39
________________ जेसिंग-सांकलचंदके लेखकाजवाब. ३७ - ६-सीरपुर-जिलेखानदेशका चौमासाखतमकरके-तीर्थभांडककी-जियारतकिइ, और जब-ब-मुकाम आकोले आनाहुवा, चालिश गांवके श्रावकोने विज्ञप्तिपत्र भेजाकि-आप हमारे शहरमें तशरीफ लावे, और हमकों तालीम धर्मकीदेवे, मेने उनकी विनति मंजुर किइ, और आकोलेसे बसवारी रैल-संवत् (१९७२) के पोषसुदी एकमके रौज-टेशन-चालिशगांवपर उतरा, चालिशगांवके श्रावककछी-मारवाडी-और गुजराती भीलकर भयवेंडबाजा-बगेराजुलुसके पेंशवाइकों आये, और शहरमे प्रवेशकरवाया, उसवख्त श्रावकोंने अपनेघरोपर धजापताका औरसाइनबोर्ड लगायेथे, तारिख (२३) जनवरी सन (१९१६) के जैनअखबारमें देखलो, तमामहाल उसमेछपाहै, अगर शांतिविजयजीकों-मुनितरीके-नही मानतहोते-तो-औसाजलसा क्यों करते, यह जिक्र-शहरधुलियेकी इर्दगिर्दकाहै, अगर तमामहिंदुस्थानके जैनश्वेतांवरश्रावक-जो-जो-शांतिविजयजीको मुनितरीके मानतेहै,उनका बयान लिखाजाय-एककिताब बनजाय, ७-आगे जेसिंग-सांकलचंद लिखतेहै, छापाओमां पोतानी खोटीप्रशंसा छपावी जैनप्रजाने भूलमांनाखी शास्त्रना जुठासाचा आधारो वतावी मुनि कहराववा कोशिशकरेछे,___ (जवाब.) शांतिविजयजी खुद जैनमुनि है-फिर मुनिकहलानेकी कोशिश क्योंकरेगे, ? जोकोइ श्रावक शांतिविजयजीकों जैनमुनितरीके-नहीमानतेहो-वे-उनकेपास-न-आवे, वंदना--नमस्कार--नकरे, शांतिविजयनीकों जैनमुनितरीके माननेवाले श्रावकहिंदमें गांव गांव और शहरशहरमें मौजूदहै, मेने अपनी झूठीप्रशंसा किसछापेमें छपवाइहै-साबीतकरो, शास्त्र के झूठेआधार किसजगहबतलाये है, इस वातकोंभी साबीतकरो, शांतिविजयजी जैनप्रजाकों भूलमें नहीडालते, बल्कि : सचसचबातलिखकर फायदापहुचाते है, शांतिविज यजीने

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