Book Title: Kitab Charcha Patra
Author(s): Shantivijay
Publisher: Dolatram Khubchand Sakin

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Page 44
________________ ४२ www : चर्चापत्र. कितनीखुशबू रखताहोगा ? फिर आजकलका सुगंधीतैल कौनगिनतीमे रहा ? रेशमीरुमालकेबारेमें जवाब सुनिये ! जैनमुनिकों जरीका कपडा रखनामनाहै, रेशमी-उनी-सूती कपडेरखना मनानही,-जबपश्मीनेकी चदरे-और-गर्मधुस्से रखनेका रवाज नजरआरहाहै,-तोरेशमीरुमाल किसगिनतीमे रहा, ? २-आगे दक्षिणनिवासी बयानकरते है, क्यां जैनशास्त्रनो त्यागमय वैराग्यमय-अने-व्यवहारमयउपदेश अने क्यां ! आवी अपवादनी परुषणा-छुटथी व्यवहारमालइ संवेगीजैनोनागुरुनो फांकोराखनारा आवा धर्मगुरु ? (जवाब.) संवेगी-जैनोके गुरुओको-तो-दिवसके तीसरेमहर गोचरी जानाचाहिये, दिवसके पहले हरमे चाहधकी गवेषणाकरनेकी क्या जरुरत ? संवेगीजैनोके गुरुओकों-तो-मुताबिक जैनशास्त्रके जीर्णप्रायवस्त्र लेनाचाहिये,-जयेभलमल और-जगन्नाथीसे क्याजरुरत ? संवेगी जैनोके गुरुओकोतो मुताबिक जैनशास्त्रके-उद्यान बनखंड-या-पहाडोकी गुफाओमे रहनाचाहिये, नवकल्पी विहारकरना चाहिये, विहारकेवरूतभी नोकरचाकर-या-श्रावककी सहायता नही लेनाचाहिये, और दिवसमें एकहीदफे आहारकरना चाहिये, जबउपवासकरनाहो-तो-पहलेरौज-और उपवासके पारनेकेरौज एकाशना करनाचाहिये, क्योंकि-जैनशास्त्रोमे लिखाहै, उपवासमें-चारटकखाना-छोडना, बेलेकी तपस्याकरनेवालोको छह-टंक-छोडना, और तेले की तपस्या करनेवालोकों आउटंक-खाना छोडनाकहा, त्यागमय और-वैराग्यमय उपदेशपर अमल करनेवाले जैनमुनिकों बेतालीश तरहके दोषोको बचाकर आहारलेना चाहिये, बांसका दंडा र खना चाहिये.

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