Book Title: Kitab Charcha Patra
Author(s): Shantivijay
Publisher: Dolatram Khubchand Sakin
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चर्चा.
१२ – फिर जेसिंग सांकलचंद तेहरीरकरते है, शांतिविजयजी - नुं जोड़ बीजापण - बे-चार - सुनिराजो रेलवेमां बेसवालागीगयाछे, तेथी जैनसंघने - ते - बाबतमां डंडो विचारकरवो जोइये, -
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( जवाब . ) चाहे जितना उंडाविचार जैनसंघकरे, कोइमना नही करता, शांतिविजयजीकी देखादेखी-जो- दो-चार - जैनमुनि रैलमें बेठने लग गये है-तो- उनोनेभी धर्मोपदेशका कुछफायदा देखा होगा, जभी बेठने लगेहोगे, जैसा उनका इरादा होगा, वैसा उनको फलमिलेगा, जैसे इरादेधर्मके जैनमुनि नावमेवेठते है, वैसे इरादेधर्मके रैलभी एकतरहका साधन है - हां! अपने शौखसे - या - आरामकेलिये अगर कोइ जैनमुनि रैलमें सफर करे-तो- बेशक! पापहै,
१३- आगे जेसिंग - सांकलचंद इसलिलकों पेंशकरते है, महाराजश्री आत्मारामजी विजयानंदमूरिना संघाडाना --तथा-- बीजा मुनिराजो पण एबाबतनो खरोविचारकरी मुनिधर्मी विरुद्धवर्तनाओने माटे कांपण उपाय योजवाने प्रयत्नकरशे,
( जवाब . ) चाहे श्रीमान - विजयानंदमूरि महाराज के शिष्यहोया - कोई दुसरेजैनमुनिहो, जिसकी जैसी मरजीहो - वैसा प्रयत्न करे, इससे मुक्या ? में - इनवातोसे खौफ नहीलाता,
१४ - अखीर में जेसिंग सांकलचंद इसमजमूनको पेंशकरते है, में - जे - लख्युंछे, ते - माराअनुभव उपरथी लखेलछे, एबाबतमां कोइना उपरखोटो आरोपमुकवाना हेतुथी लखेल नथी,
( जवाब . ) मेने जोकुछ सवालकर्त्ताके जवाब में लिखा है, -मुताfor taara और दाखले दलिलोके लिखा है, इसकों अवलसे अखीरतक पढे, और सचवातका इम्तिहान करे,
( जेसिंग - सांकलचंद के लेखका जवाब खतमहुवा - ) Re :($):

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