Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
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खरतरगच्छ का काल-क्रमानुसार वर्गीकरण
इतिहास विश्व का दर्पण है। जिसका जैसा बिम्ब होगा उसमें वैसा ही प्रतिबिम्बित होगा। खरतरगच्छ की छवि को भी हमें इतिहास के दर्पण में निहारना होगा। अध्ययन की सुविधा के लिए खरतरगच्छ के इतिहास को कालक्रमानुसार वर्गीकृत करना अपेक्षित है।
खरतरगच्छ के इतिहास का अनुशीलनात्मक अध्ययन१. आदिकाल २. मध्यकाल ३. वर्तमानकाल - इन तीन मुख्य शीर्षकों में रखकर किया जा रहा है।
आदिकाल के अन्तर्गत हम खरतरगच्छ के प्रारम्भिक काल को ग्रहण करते हैं। यह काल विक्रम की ग्यारहवीं शदी से तेरहवीं शदी तक का है। इल काल में मुख्य रूप से चैत्यवास एवं शिथिलचार का उन्मूलन हुआ और श्रमणोचित मार्ग का प्रसार हुआ। यह कार्य विक्रम की तेरहवीं शदी तक निरन्तर चला। खरतरगच्छ का बीजारोपण, सिंचन एवं अंकुरण इसी काल में हुआ। पश्च काल में खरतरगच्छ रूप सुविहित मार्ग/विधिपक्ष का विकास के चरम शिखर पर आरोहण हुआ। प्रस्तुत ग्रन्थ में खरतरगच्छ का आदिकालीन इतिहास आकलित है। ___ खरतरगच्छ का विक्रम की चौदहवीं शदी से अठारहवीं शदी तक का इतिहास हम मध्य काल के अन्तर्गत ग्रहण करते हैं। मध्यकालीन इतिहास सुविस्तृत होने के कारण इस शीर्षकान्तर्गत इतिहास का विश्लेषण हम दो उपशीर्षकों में करेंगे-(१) पूर्व मध्य काल और (२) परवर्ती मध्य काल । विक्रम की चौदहवीं से सोलहवीं शदी पर्यन्त