Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh

View full book text
Previous | Next

Page 243
________________ तो वह हिल तक न पाई। संघ काफी चिन्तातुर हुआ । तब महत्तरा साध्वी ने आचार्य से जाकर सारी वस्तुस्थिति बतलाई । आचार्य जिन पतिसूरि तत्काल मन्दिर पहुँचे और अभिमन्त्रित चन्दन - चूर्ण डाला । आश्चर्य ! उसके बाद तो मात्र एक व्यक्ति ने ही वह प्रतिमा उठा ली। इससे आसीनगर में आचार्य की एवं खरतरगच्छ की काफी प्रशंसा हुई । साहित्य :- आचार्य जिनपतिसूरि का वाद कौशल अप्रतिम था । उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भी अपने वैदुष्य एवं अनुभव का उपयोग किया । अब तक उनकी निम्न रचनाएँ प्राप्त हुई हैं १. संघपट्टक वृहद्वृत्ति २. पंचलिंगीप्रकरणटीका ३. प्रबोधोदयवादस्थल ४. खरतरगच्छ समाचारी ५. तीर्थमाला ६. पंचकल्याणकस्तोत्र ७. चतुर्विंशतिजिनस्तुति ८. विरोधालंकार ऋषभ - स्तुति ६. अजितशान्तिस्तोत्र १०. अजितशान्तिस्तुति ११. नेमस्तोत्र १२. चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र १३. पार्श्वनाथ स्तोत्र १४. पार्श्वस्त १५. स्तम्भतीर्थ अजितस्तव १६. महावीरस्तव १ खरतरगच्छ वृहद् गुर्वावली, पृष्ठ ६३ २२१

Loading...

Page Navigation
1 ... 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266