Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
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कृष्णा प्रतिपदा को अजितनाथ की प्रतिमा की स्थापना करवायी। प्रहलादनपुर में आषाढशुक्ला १० के दिन इनके द्वारा भावनातिलक
और भरतकीर्ति को दीक्षा दी गई और उसी दिन आपके द्वारा भीमपल्ली में महावीर स्वामी की प्रतिमा की स्थापना हुई।
सं० १३१४ माघ सुदि १३ को इस नगरी के किल्ले पर निर्मित मुख्य मन्दिर पर ध्वजा चढाई गई। यह कार्य राजा उदयसिंह की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ था। तदनन्तर प्रहलादनपुर में अग्रिमवर्ष की आषाढ़ शुक्ला १० को सकलहित, राजदर्शन एवं बुद्धिसमृद्धि,
द्धिसुन्दरी, रत्नवृष्टि को दीक्षा दी गई। ___सं० १३१६ माघ शुक्ला १४ के दिन जिनेश्वरसूरि ने जालोर में धर्मसुन्दरी गणिनी को प्रवर्तिनी पद तथा माघ शुक्ला ३ को पूर्णशेखर, कनकलश को प्रव्रज्या दी। माघ शुक्ला ३ के दिन नरेश चाचिगदेव के राजत्व में पभु और मलिग नामक भावकों ने इनसे स्वर्णगिरि में श्री शान्तिनाथ स्वामी के मन्दिर पर स्वर्ण मयकलश
और ध्वजदण्ड का आरोपण कराया। इसी प्रकार सोमचन्द्र नाम के मन्त्री ने बीजापुर में आषाढ़ शुक्ला ११ के दिन भगवान वासुपूज्य के मन्दिर पर स्वर्ण कलश और स्वर्ण ध्वजदण्ड चढ़ाये। ___ सं० १३१७ मिगसिर शुक्ला ७ के दिन जिनेश्वरसूरि द्वारा गणि अभयतिलक को उपाध्याय पद दिया गया। उसी वर्ष पं०. देवमूर्ति आदि साधुओं को साथ लेकर उपाध्याय अभयतिलक उज्जैन गये, वहां पर पंडित विद्यानन्द के साथ हुए विवाद में "प्राशुकं शीतलं जलं यति कल्प्यम्” इस तथ्य को अनेक सिद्धान्तों के बल से अपने पक्ष का स्थापन करके अभयतिलक ने राजसभा में जय-पत्र प्राप्त किया। सं०. १३१७ पौषसुदि तृतीया के दिन आपने संघभक्त को दीक्षा और धर्ममूर्ति गणि को वाचनाचार्य पद दिया। सं० १३१७ माघ कृष्णा पंचमी को साध्वी विजयसिद्धि की दीक्षा हुई। माघ कृष्णा ६ को
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