Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
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नाणी, धन्नाणी, तेजाणी, पोपाणी, रामपुरिया, कक्कड़, मक्कड़, लुटकण, सीपाणी, भक्कड़, मोलाजी, देवसयाणी, कोबेरा, चगलाणी, मट्टारकिया, सहाणी आदि गोत्र इसी चोरवेड़िया से प्रसृत हुए हैं।
चन्देरी नगरी के राजा खरहत्थ के पुत्र निम्बदेव द्वारा भटनेर गाँव में न्याय करने से उनका गोत्र भटनेरा चौधरी प्रसिद्ध हुआ। ___राजा भेशाशाह के पांच पुत्रों में ज्येष्ठ पुत्र ज्योतिष मार्तण्ड था चित्तौड़ नरेश द्वारा श्रावण भाद्र पद का भविष्य पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सावन सूखा जाएगा और भाद्रपद हरा होगा। उनकी यह भविष्यवाणी सत्य सिद्ध होने पर जिनदत्तसूरि ने उनका गौत्र सावणसुखा रखा। भेशाशाह के दूसरे पुत्र गोला और तीसरे पुत्र वच्छराज से गोलेच्छा गोत्र उत्पन्न हुआ। भेशाशाह के चतुर्थ पुत्र पाशु रत्नपारखी होने के कारण पारख कहलाये। उनके पांचवे पुत्र गहाशाह के वंशज गद्दहिया कहलाये। आसाणी गोत्र आसपाल से प्रगट हुआ।
वस्तुतः राजा खरहत्थ के सम्पूर्ण राज-परिवार पर आचार्य जिनदत्त का अमेय प्रभाव था। इनसे लगभग पचास गोत्र उत्पन्न हुए यथा-बुच्चा, फाकरिया, घंटेलिया, कांकड़ा, साहिला, संखवालेचा, कुरकच्चिया, सिंधड़, कुंभटीया, ओस्तवाल, गुलगुलिया आदि।
सिन्धु देश नरेश अभयसिंह भाटी आचार्य जिनदत्तसूरि से प्रभावित थे। अभयसिंह ने एक बार आचार्य से निवेदन किया कि देश की बाढ़ से रक्षा करें। आचार्य के प्रभाव से जल-प्रकोप शान्त हो गया। राजा द्वारा 'पानी आ-रया है' (पानी आ रहा है) कहने के कारण अभयसिंह को आचार्य ने 'आयरया' गोत्र दिया। अभयसिंह ने दस हजार भाटियों सहित जिनदत्त से जैन धर्म अंगीकार किया। इसी राजा की परम्परा में लूणा नामक राजा हुआ। लूणावत गोत्र का उसी राजा से सम्बन्ध है। .
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