Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
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अर्थात् दरिद्रता का नाश करनेवाली वस्तु क्या है ? ब्रह्मा, विष्णु, शिव का वाचक वर्ण क्या है ? पथिक लोग अपने किस श्रम को
आदरपूर्वक दूर करना चाहते हैं ? देव-मन्दिरों में शोभा बढ़ानेवाली वस्तु क्या है ? और जगत में चतुरता तथा न्याय आदि गुणों से विश्व-विख्यात् होकर कौन प्रकाशमान है ?
सूरि ने “सोमध्वज' कहकर इन पांचों प्रश्नों का उत्तर एक ही पद में दे दिया। साहित्यकारों ने इसका नाम 'द्विय॑स्त समस्त जाति' रखा है। इसका अर्थ यह है कि दो बार सन्धि-विश्लेषण करके तीसरी बार समस्त वाक्य को पढ़ना चाहिए, अर्थात् प्रथम सन्धिविश्लेषण में "सोमध्वज' से चौथे एवं समस्त वाक्य "सोमध्वज” से पांचवें प्रश्न का उत्तर निम्नलिखित है
दरिद्रता का नाश करनेवाली सा-लक्ष्मी है। ओम् यह वर्ण ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का वाचक है। पथिक लोग "अध्वज" यानी मार्ग/जीवन-श्रम को बड़े मनोयोग से दूर करना चाहते हैं। हे सोम (चन्द्र)! देवताओं के मन्दिरों में शोभावर्धक वस्तु ध्वज है। चतुराई
और नीति में विश्व-विख्यात् यदि कोई है तो वह आप (सोमध्वज) हैं। यह उत्तर सुनकर वह तपस्वी बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सूरि की बहुत भक्ति की।
फिर सूरि उसी भामह सेठ के संघ के साथ चलते हुए गुजरात की प्रसिद्ध नगरी अणहिलपुरपाटण में पहुँचे ।।
प्रभावक चरित्र एवं युगप्रधानाचार्य गुर्वावली में वर्णित उक्त दोनों घटनाओं में से द्वितीय घटना ही अन्य ग्रन्थों में अधिकांशतः प्राप्त होती है।
१ युगप्रधानाचार्य गुर्वावली, पृष्ठ ३.४
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