Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
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खरतरगच्छ वह सरित् प्रवाह है, जिसमें इतिहास की अनेकानेक धाराएं समाहित हैं। उनमें कई धाराएँ निर्मल भी हैं तो कई कलुषित भी। इतिहास सबको समेटे चलता है। खरतरगच्छ ने जैन-धर्मसंघ में समागत विकृतियों का परिहार करने के लिए ही क्रान्ति को जन्म दिया था। स्वयं खरतरगच्छ ने भी अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं किन्तु इतना निश्चित है कि इस गच्छ में ऐसे कुछ जीवनीय तत्त्व निहित हैं, जिनसे यह आज भी एक आदर्श, जीवन्त और आचरणीय धर्म के रूप में विद्यमान है।
इस गच्छ का इतिहास लगभग हजार वर्षों के सुदीर्घ काल में तनाबुना है । इतने लम्बे अन्तराल में उसकी एकरूपता कैसे अखण्डित रह सकती है। किन्तु आत्मतोष यह सोचकर होता है कि इस गच्छ ने सदा मानवता को सम्मान दिया, एकता और प्रेम के लिए अपनी गरिमाओं का बलिदान किया। जीवन-विशुद्धि के लिए स्वयं को समर्पित किया। आत्म कल्याण, स्वार्थ-त्याग और धर्म-विकास की त्रिविध नीति के बलबूते पर ही यह गच्छ स्वयं में ऐतिहासिक मूल्यों को संजोए समुन्नत है। - --