Book Title: Kavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 7
________________ (viii) एवं सामाजिक कार्यो में सहयोगी तथा प्रसिद्ध संगीतज्ञ श्री ताराचन्दजी प्रेमी ने प्रकादमी के सम्बन्ध में चर्चा की तथा उसका संरक्षक सदस्य बनने के लिए कहा, तो मैंने तत्काल अपनी स्वीकृति दे दी। मैं इसके लिए श्री प्रेमी जी का प्राभारी हूँ। ऐसी साहित्यिक संस्था को सहयोग देने में मुझे ही नहीं, सभी साहित्यिक प्रेमियों को प्रसन्नता होगा। अकादमी को निरन्तर लोकप्रियता प्राप्त हो रही है, जिसकी मुझे पतीच प्रसन्नता है। इसके पंचम भाग का विमोचन बम्बई महानगरी में परम पूज्य प्राचार्यश्री थिमलसागरजी महाराज की पुण्य जम्म जयन्ती महोत्सव के अवसर उन्हीं के सानिध्य में मूभिद्री के भट्टारफ स्वस्ति श्री चारूकोतिजी महाराज ने किया था। भट्टारकजी महाराज अकादमी के परम संरक्षक भी हैं। इस अवसर पर स्वयं प्राचार्यश्री जी ने डा० कासलीवाल जी को साहित्यिक क्षेत्र में सतत् आगे बढ़ते रहने का शुभार्शीवाद दिया था। पंचम भाग के प्रकाशन के पश्चात् डा श्रीमती) सरयू दोशी बम्बई एवं श्री पन्नालाल सेठी डीमापुर ने अकादमी का संरक्षक सवस्य बनने की महसी कृपा की है। इसके लिए हम उनके भाभारी है। जा० (थीमती दोणी जैन चित्रकला की शीर्षस्थ विदुषी है, तथा अपना समस्त जीवन जैन कला के महत्व को प्रस्तुत करने में समर्पित कर रखा है । सनका Homage to shrawar. belgola अपने युग की अनूठी कृति है। इसी तरह माननीय श्री पन्नालाल बी सेठी एक प्रमुख व्यवमायी है तथा अपनी उदारता, दानशीलता एवं साधु भक्ति के लिए सर्वत्र प्रसिद्ध है। हम दोनों का हार्दिक स्वागत करते हैं। उस दोनों के प्रतिरिक्त सागर के प्रसिद्ध उद्योगपति एवं लोकप्रिय समाज सेवी श्री बालचन्द जी बैन, जो वर्तमान में अखिल भारतीय दि० जैन परिषद के अध्यक्ष है, अकादमी को उपाध्यक्ष के रूप में सह्योग देकर मध्यप्रदेश में अकादमी के कार्य क्षेत्र में वृद्धि की है। इसी तरह जमपुर में रत्नों के व्यवसायी श्री रतनचन्दजी पंसारी ने भी उपाध्यक्ष सदस्य बनने की स्वीकृति प्रदान की है। श्री पंसारी जी जयपुर जैन समाज के लोकप्रिय समाज सेबी है तथा नगर की कितनी ही संस्थानों को अपना सहयोग प्रदान करते रहते हैं। हम दोनो महानुभावों का उनके सहयोग के लिये हार्दिक स्वागत

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