Book Title: Kasaypahudam Part 04 Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri Publisher: Bharatiya Digambar Sangh View full book textPage 6
________________ प्रकाशक की ओरसे श्री कसायपाहुड (जयधवलाजी) के चौथे भाग स्थितिविभक्ति और पाँचवें भाग अनुभाग विभक्तिका प्रकाशन एक साथ हो रहा है। इसका कारण यह है कि जिस प्रेसमें चौथा भाग छापनेके लिए दिया था उस प्रेसने उसे छापनेमें आवश्यकतासे अधिक विलम्ब किया । साथ ही शुरूके पाँच फर्मोको दीमक चाट गई। तब वहाँ से काम उठाकर दूसरे प्रेसको दिया गया। किन्तु शुरूके पाँच फर्मोंको छापकर देने में पहले प्रेसने पुनः अनावश्यक विलम्ब किया । इतनेमें तीसरे प्रेसने पाँचवाँ भाग छापकर दे दिया। इस तरह ये दोनों भाग एक साथ प्रकाशित हो रहे हैं। दीपावलीके पश्चात् छठा और सातवाँ भाग भी प्रेसमें दिये जानेके लिये प्रायः तैयार हैं। इन सब भागोंका प्रकाशन संघके वर्तमान सभापति दानवीर सेठ भागचन्द जी डोंगरगढ़की ओरसे हो रहा है। सेठ साहब तथा उनको धर्मपत्नी सेठानी नर्वदाबाईजी बहुत ही धर्मप्रेमी और उदार हैं। आपके साहाय्यसे यह कार्य शीघ्र ही निर्विघ्न पूर्ण होगा ऐसी आशा है। आपकी उदारता और धर्मप्रेमकी सराहना करते हुए मैं आपको बहुत २ धन्यवाद देता हूँ। ___ इस भागके सम्पादन आदिका भार श्री पं० फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्रीने वहन किया है, मेरा भी यथाशक्य सहयोग रहा है । मैं पंडितजीको भी एतदर्थ धन्यवाद देता हूँ। ____ अपने जन्मकालसे ही जयधवला कार्यालय काशीके स्व० बा० छेदीलालजीके जिनमन्दिरके नीचेके भागमें स्थित है। और यह सब स्व० बाबू साहबके सुपुत्र बा० गनेसदासजी और सुपौत्र बा० सालिगरामजी तथा बा० ऋषभदासजीके सौजन्य और धर्मप्रेमका परिचायक है। अतः मैं आप सबका भी आभारी हूँ। ___ इस भागका बहुभाग 'बम्बई प्रिन्टिंग प्रेस तथा अन्तके कुछ फर्मे 'कैलाश प्रेस' में छपे हैं। दोनों के स्वामी तथा कर्मचारी भी इस सहयोगके लिए धन्यवादके पात्र हैं । । जयधवला कार्यालय __ भदैनी, काशी दीपावली, २४८३ कैलाशचन्द्र शास्त्री मंत्री, साहित्य विभाग भा० दि० जैनसंघ, मथुरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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