Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 2
________________ प्रकाशकीय प्रस्तुत क्रर्मग्रन्थ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुये हमें परम हर्ष का बनुमब हो रहा है क्योंकि काफी लम्बे समय से यह कर्मग्रन्थ माता जिस के भ्याख्याकार श्रद्देय श्री प. थो सुखलाल जी संघवी हैं, उपलब्ध नहीं हो रही थी इस कमी को पूरी करने के लिये हमारी संस्था ने कर्मनथ के सम्पूर्ण ६ ही भागों को प्रकाशित करने का निश्चय किया। तवउपरान्त अनेक सहयोगी बंधुओं के सहयोग से इस गुरूत्तर कार्य को पूर्ण भी किया ताकि कर्म सिद्धान्तों के ज्ञान पिपासुओं की तृप्ति हो सके । प्रस्तुत बौथा फर्मग्रन्थ जो तीसरे कर्म ग्रन्थ को पढ़ने के पश्चात पढ़ना अनिवार्य हो जाता है और इसके पढ़ने के पश्चात पंचसंग्रह व कम्मपयरी आदि ग्रन्थों को समझना सरल हो जाता है इसके प्रकाशन के लिये हम श्री वर्षमान जैन पोलीवलीनक,बड़ौत के पदाधिकारी व सदस्यों को हार्दिक प्रधाई देते हैं जिन्होंने परम श्रद्देय आचार्य सम्राट पूज्य गुरुदेव श्रीश्री१००८ श्री आनन्द ऋषि जी महाराज की ८८वीं जन्म जयन्ती के पावन अवसर पर इस पुस्तक का सम्पूर्ण व्यय अपने ऊपर लेकर प्रकाशित कराया और अपनी श्रद्धा आचार्य देव के प्रति प्रस्तुत करी। इस चौथे कर्मनाथ के प्रकाशन में भी थी वकील चन्द जी जन कोषाध्यक्ष की प्रेरणा मुख्य कारण है । उन्होने इस अन्य को छपवाने व प्रकाशन कराने में भी अथक परिश्रम कर धर्म भावना का परिचय दिया है। काफी समय पश्चात प्रकाशन होने व भूल सहित्य के उपलब्ध न होने के कारण मुद्रण में अशुद्धिया रहना सम्भव है इसके लिए क्षमा प्रार्थी है आगामी संस्करण हेतु बेटियों के सुधार एवं सुक्षाव सदैव आमन्त्रित है। धन्यवाद सहित विनीत : फैलाश चन्द अन अध्यक्ष श्री बद्धमान स्था० जैन धामिक शिक्षा समिति बड़ौत (मेरठ) 25061

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