Book Title: Karan Prakash
Author(s): Bramhadev, Sudhakar Dwivedi
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

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Page 18
________________ करणप्रकाशे। २अह अह ११५५८९ १३९१ २९२४४०७१ १३९ १२९२४४०७१ = २३२ +१२६२८० स्वल्पान्तरात् । (१) समीकरणेऽस्योत्थापनेन भागादिका गतिः = १-२९-११५८० । इयमहर्गणगुणा जाता भागाद्या रविबुधशुक्राः = अह - ३३९४ - २३१६८९ । एत एव शनिजीवभूभुवां चलोच्चमित्युपपन्नमानयनम् । शेषं गृहादिकरणं चातिसुगममिति ॥४॥ अह्रां गणो गुण-३हतो नगचन्द्र-१७भक्तो लब्धान्वितो गुणशशाङ्क-१३ हतो दिनौधः । . .. चन्द्रोंशकादिरिषुभूगुणनाग-८३१५भक्ता दंशादिलब्धरहितो भवति धुवृन्दात् ॥५॥ आर्यभटमतेन चन्द्रयुगभगणाः=५७७५३३३६ । युगसावनदिवसाः=१५७७९१७५०० । लल्लमतेन २५० सौरवर्षेषु =१५७७९७५००४२५०-१५७७ २५०१५७७९२७५४२५-५२५९ २२० २८८ सावनदिवसेषु २५ कला ऋणं बीजम् । ततोऽनुपातेनैकस्मिन् दिने भा गादिका गतिः=५७७९३३३६४१२४३० १५७७९१७५०० _५७७५३३३६४१२४३०६०-५७७५३३३६४६-३४६५२००१६ १६७७९१७५००:६० २६२९८६२५ -२६२९८६२५ २८८x२५ १४६३७८९१ । एकस्मिन् दिने भागात्मकमृणं बीजम् ९७२५४८४६० २२६२९८६२५ । =२२२७२८-८२२४०२८ । उभयोः संस्कारेण भागात्मिका वास्तवा गतिः Aho ! Shrutgyanam

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