Book Title: Karan Prakash
Author(s): Bramhadev, Sudhakar Dwivedi
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

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Page 17
________________ मध्यमाधिकारः। ४१८०४३४१६ .६६८८६८८. - ४१८०४३४६४ ६४४२६७१६६६८ + ६४X६६७९१६७ १६७ = (१ ) = (२२४२३) । ९५२९ अनुपातेनेष्टचान्द्राहसंबन्धिक्षयाहाः=xइचा(१+१४.३) क्षेपोपपत्तिस्रन्थान्तेऽस्ति । अत उपपन्नं क्षयाहानयनम् ॥ ३॥ दर-२ नो युगणोऽङ्कविश्व-१३६ विहृतो लब्धोनितोऽहां गणोंऽशाद्याः सूर्यसितेन्दुजा गुरुकुजाऽऽर्कीणां चलोञ्च भवेत् । नन्दाष्टेषुतिथीन्दुभिर्दिनगणादाप्तांऽशकैश्चोनितो भागाः खाग्नि-३० हृता गृहा दिनकरै-१२ भक्ता गृहाः पर्ययाः॥४॥ स्पष्टार्थम् । . अत्रोपपत्तिः । आर्यभटमतेन रविभगणाः = ४३२००००। । युगकुदिनानि = १५७७९१७५०० । अनुपातेनैकस्मिन् दिने भागासिका गतिः -४३२००००४१२४३०-४३२००.०४१२४३०:३००x२५ १५७७९१७५०० - १५७७९१७५००:३००४२५ =२२०३६९ = १-३२०३८९......(१) परन्तु ३०२०-६५ तत आसन्नमानानि, ६५, कुईर, आचार्येणेदं, २२. गृहीतम् । ततः ३३०३९५ – ३०३९९ -२३२ +९. २०७३६० २१०३८९ २१०३८९ Aho ! Shrutgyanam

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