Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 427
________________ ३४६ विसेसचुण्णि [राईभत्तपगयं ["बिइयादेसे०"] "तइयादेसे०" गाहा । तइयादेसो णाम तृतीयः प्रायश्चित्तप्रकारः । ते चंदुज्जोवेणं तह चेव भोत्तूण आगया । ण कस्सइ कहेंति, नवरं भिक्खुणा तेसिं चेव कस्सइ अंतिए सोऊण अन्नेहिं वा गीयत्थेहिं कहिए सुणेत्ता ते खिसंति । पडिचोइया भिक्खूहिं जइ अइक्कमति :::। (षड्गुरु) ६। ततो वसभेहिं भणिया-मा अइक्कमह भिक्खुणो, जइ ट्ठिया छग्गुरुए चेव ठिया । अह न ठिया छेदं पावंति । एवं आयरिए मूलं, कुलथेरे अणवट्ठो, गणथेरसंघथेरा दोन्नि वि एक्को । अह अइक्कमंते पारंचिया । अभिक्खगहणेणं छहिं वाराहिं पारंचियं पावंति । गच्छस्स व्याख्या - गच्छगहणेण गच्छो, भणाइ अहवा कुलाइओ गच्छो । गच्छग्गहणे व कए, गहणं पुण गच्छवासीणं ॥२८७०॥ "गच्छगहणे०" गाहा कण्ठ्या । 'अट्टसंघाड' त्ति । (गा० २८६०) अस्य व्याख्याभिक्खु, वसभा, आयरिया एए तिन्नि पढमे पायच्छित्तो, चत्तारि नत्थि संघाडा । तेण न संभवंति । बिइए आदेसे भिक्खु-वसभा-आयरिया एए तिण्णि, कुल-गण-संघथेरा एए तिण्णि वि एक्को। एस चउत्थो संघाडो, एए चत्तारि । तइयादेसे वि एए चेव चत्तारि। एए दो चउक्कया अट्ठ संघाडा इति । अट्ठ वा पायच्छित्तपगारा । जोण्ह त्ति गयं । मणि त्ति । "गणिच्छेदादायरीए" गाहा । आयरियातिक्कमे छेदो, वसभातिक्कमे मूलं, कुलथेराइक्कमे अणवट्ठो गणथेराइक्कमे संघथेराइक्कमे य चरिमं । अभिक्खगहणेणं पंचहिं वाराहिं सपदं३ पावंति । __इयाणि पदीवे-आयरियाइक्कमे मूलं, वसभाइक्कमे अणवट्ठो, कुल-गणसंघथेराइक्कमे पारंचिओ, अभिक्खगहणेणं चउहिं वाराहिं सपदं । उदित्ते-आयरियाइक्कमे अणवट्ठो, वसभ-कुल-संघथेराइक्कमे य चउसु वि पारंचिओ। अभिक्खगहणेणं तिहिं वाराहिं सपदं । मणिपदीवउद्दिताणं दो आदेसा णत्थि । सन्नायग आगमणे, संखडि राओ अ भोयणे मूलं । बिइए अणवठ्ठप्पो, तइयम्मि य होइ पारंची ॥२८७१॥ "सन्नायग०" गाहा । अहवा जोण्हा-मणि-पदीव-उद्दित्तएसु भुंजमाणस्स इमं पच्छित्तं-सव्वेसु वि मूलं । बिइयं वारा अणवट्ठो, तइयवारा भुंजइ पारंचिओ । बिइयपदं गेलने, पढमे बिइए य अणहियासम्मि । फिट्टइ चंदगवेज्झं, समाहिमरणं व अद्धाणे ॥२८७२॥ १. मलवृत्तौ षड्लघुतः आरब्धं प्रायश्चित्तं पाराञ्चिके निष्ठां याति । गणसङ्घस्थविरयोः तत्र पृथग्गणना कृता । २. गणि त्ति । ३. एषा गाथा नास्ति । ४. पदं अ क इ ।

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