Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 454
________________ पढमो उद्देसो 'हतनायगा० गाहा । कण्ठ्या । ते चउहा तेणा संजयभद्दा य तहा, गिहिभद्दा चेव साहुभद्दा य । तदुभयभद्दा पंता, संजयभद्देसु आहडिया ॥३००८॥ सत्थे विविच्चमाणे, आहिपई भद्दओ व पंतो वा । भद्दो दट्ठूण निवारणं, व गहियं व पेसेइ ॥३००९॥ नीतं दण बहिं, छिन्नदसं सिव्वणीहि वा नाउं । पेसे उवालभित्ताण तक्करे भद्दओ अहिवो ॥ ३०१०॥ भासगाहा - ३००१-३०१४] "" "संजयभद्दा० " [" सत्थे विविच्चमाणे० " "नीयं दट्ठूण०"] गाहाओ कण्ठाओ। अह एति रुद्धउ पेसेज्जा । ते य तेणा दुविहा - अक्कंतिया अणक्कंतिया य । तत्थ गाहा - वीसत्थमप्पिणंते, भएण छड्डित्तु केइ वच्चति । बहिया पासवण उवस्सए व दिट्ठम्मि जा जयणा ॥३०११॥ गीयमगीया अविगीयपच्चयट्ठा करिंति वीसुं तु । जइ संजई वि तहियं, विगिंचिया तासि वि तहेव ॥३०१२॥ ३७३ जो विय तेसिं उवही, अहागडऽप्पो य सपरिकम्मो य । तं पिय करेंति वीसुं, मा अविगीयाइ भंडेज्जा ॥३०१३॥ I "वीसत्थ० " [" गीयमगीया० " "जो वि य०"] गाहा । जे ते अक्कंतिया तो अतिया दिवसओ चेव वीसत्था आणेत्ता संजयाण देंति । जे अणक्कंतिया ते भएण गिहत्थाणं मा घेप्पहामो त्ति रत्तिं आणेऊणं संजयाण उवस्सयस्स बहिया पासवणभूमीए वा ठवेत्ता रत्ति चेव गच्छंति । तं तत्थ ठवियं संजया पासित्ता जयणं करेंति । जइ संजईओ विवित्ताओ तो संजईणं उवकरणं जुययं करेंति गीतत्थागीतत्थाणं पच्चयनिमित्तं, मा ते चिंतेर्हिति - उवहतमिस्सिययं जं पि तयं संजयाणं अहाकडं अप्पपरिकम्मं सपरिकम्मं च जुई करेंति । मा अगीतत्था भंडणं करेस्संति । एवं भद्दओ करेज्ज । जो पुण पंतो अधिवो । पंतोवहिम्मि लुद्धो, आयरिए इच्छए विवादेउं । कयकरणे करणं वा, आगाढें किसो सयं भइ ॥ ३०९४॥ " पंतोवहिम्मि० " गाहा । संजमविहिम्मि एत्थ कयकरणो णामं निमित्तविज्जादीहिं १. संजयपंता मुच । २. करणे अइ ।

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