Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 466
________________ भासगाहा-३०७६-३०८६] पढमो उद्देसो ३८५ एयाए गाहाए सोलसभंगा सूइया । अस्य व्याख्या - "कालुट्ठाई०" गाहा' । कण्ठ्या । कहं सोलस भंगा भवंति ? अत उच्यते-कालुट्ठाई, कालणिवेसी, ठाणट्ठाई, कालभोई १। कालुट्ठाई, कालणिवेसी, ठाणट्ठाइ अकालभोइ २। एवं सोलस कायव्वारे, चहुहिं पदेहिं पश्चार्द्धनादिमार्द्धपदानां चतुर्णां यथासंख्येन व्याख्यानं - एतेसिं तु पयाणं, भयणा सोलसविहा उ कायव्वा । सत्थपणएण गुणिया, असिती भंगा तु णायव्वा ॥३०८३॥ [नि०] "एतेसिं तु पयाणं०" गाहा । कण्ठ्या । पुरातना । भंगसंख्याये गाहा - एतेसिं तु पदाणं, भयणाएँ सयाई एकपन्नं तु । वीसं च गमा नेया, एत्तो य सयग्गसो जयणा ॥३०८४॥ सत्थाह अट्ठगुणिया, असीति चत्ताल छस्सता होंति । ते आइयत्तिगुणिया, सत एक्कावण्ण वीसहिया ॥३०८५॥ "एतेसिं तु पदाणं०" गाहा । अस्य व्याख्या – “सत्थाह अट्ठ" गाहा । सोलस भंगा पंचविहेण सत्थेण गुणिया असीति भवंति । एसा चेव असीती अट्ठहि सत्थाहिपईहिं गुणिया चत्ताला छस्सता होंति । पुणो अट्ठहिं आदियत्तिएहिं गुणिया एक्कापन्नं सता वीसधिया होति । एतदेव शताग्रशः । सत्थे सुद्धे आगंतुं आयरियाणं आलोएंति सत्थपडिलेहगा । ताहे सत्थाधिपती अणुन्नवेयव्वो । कयाइ दोन्नि पहुणो सत्थस्स होज्ज अहवा अन्नो वि पभू सथिल्लओ होज्ज, जस्स वसेण सत्थो संपट्टिहति ठाइ वा । एत्थ इमो अणुण्णवणविही - दोन्नि वि समागया सत्थिगो य जस्स व वसेण वच्चति तु । अणणुण्णविते गुरुगा, एमेव य एगतरपंते ॥३०८६॥ "दोन्नि वि०" गाहा । कण्ठ्या । ‘एक्कतर पंते' त्ति जइ एक्को पेल्लओ अणुन्नविए तहि पि गुरुया, तम्हा एक्को नाणुन्नवेयव्वो। १. अत्र गाथाव्युत्क्रमो दृश्यते मुच । २. कालुट्ठाई, कालनिवेसी, अठाणट्ठाई, कालभोई ३। कालुट्ठाई, कालनिवेसी, अठाणट्ठाई, अकालभोई ४। कालुट्ठाई, अकालनिवेसी, ठाणट्ठाई, कालभोई ५। कालुट्ठाई, अकालनिवेसी, ठाणट्ठाई, अकालभोई ६। कालुट्ठाई, अकालनिवेसी, अठाणट्ठाई, कालभोई ७। कालुट्ठाई, अकालनिवेसी, अठाणट्ठाई, अकालभोई ८। अकालुट्ठाई, कालनिवेसी, ठाणट्ठाई, कालभोई ९। अकालुट्ठाई, कालनिवेसी, ठाणट्ठाई, अकालट्ठाई १०। अकालुट्ठाई, कालनिवेसी, अट्ठाणट्ठाई, कालभोई ११॥ अकालुट्ठाई, कालनिवेसी, अठाणट्ठाई, अकालभोई १२। अकालुट्ठाई, अकालनिवेसी, ठाणट्ठाई, कालभोई १३। अकालुट्ठाई, अकालनिवेसी, ठाणट्ठाई, अकालभोई १४। अकालुट्ठाई, कालनिवेसी, अठाणट्ठाई, अकालभोई १५। अकालुट्ठाई, कालनिवेसी, अठाणट्ठाणाई, अकालभोई १६।

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