Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

View full book text
Previous | Next

Page 448
________________ भासगाहा-२९६४-२९८५] पढमो उद्देसो लिंगट्ठ भिक्ख सीए, गिण्हंती पाडिहारियमिमेसु । अमणुन्नियरगिहीसुं, जं लद्धं तन्निभं दिति ॥२९८१॥ "न विवित्ता०" ["लिंगट्ठ०"] गाहा । कण्ठ्या । संजईण दायव्वं, न गिहत्थाण । "समणुन्नितरासु वि तहेव'"त्ति । अह संजया विवित्ता समणुन्ना वि, जइ से अत्थि दोण्ह वि दायव्वं । एत्तियं णत्थि तो समणुन्नाणं देंति । जत्थ अमणुण्णाण विवित्ता तेसिं हत्थाओ पाडिहारियं घेप्पइ । अह नत्थि संजया अमणुन्ना, अह संजईओ ण विवित्ताओ, सगच्छपरगच्छिल्लियाओ वा, एयासिं हत्थाओ पडिहारियं घेप्पइ लिंगट्ठगा । तं पुण लिंगट्ठाए वा भिक्खट्ट सीतट्टाए वा । अमणुन्ना असंभोइया इयरे पासत्था । एएसिं हत्थाओ पाडिहारियं घेप्पड । गिहत्थाओ पाडिहारीयं वा घेप्पइ । एतदुक्तम् - पाडिहारीए निसटे य, जाहे लद्धं तण्णिभं चेव पाडिहारियं पडिदेति । उहृढे व तदुभए, सपक्ख परपक्ख तदुभयं होइ । अहवा वि समण समणी, समणुन्नियरेसु एमेव ॥२९८२॥ "उद्दूढे व०" गाहा । 'तदुभयं' सपक्खो परपक्खो । सपक्खो संजया, परपक्खो गिहत्था । अहवा उभयं समणुन्ना, इयरा असंभोइया ।। अमणुन्नेतर गिहिसंजईसु असइ पडिसत्थपल्लीसु । तिण्हऽट्ठाए गहणं, परिहारिय एतरे चेव ॥२९८३॥ एवं तु दिया गहणं, अहवा रत्तिं मिलेज्ज पडिसत्थो । गीएसु रत्ति गहणं, मीसेसु इमा तहिं जयणा ॥२९८४॥ "अमणुन्ने०" ["एवं तु०"] गाहा । असमणुन्ना वि अविवित्ता णत्थि, संजईओ वि णत्थि, ताहे पडिसत्थपल्लीसु मग्गियव्वं गिहत्थाए गिण्हियव्वं पाडिहारियं वा अपाडिहारियं वा । एवं दिवसओ। अह रत्तिं पडिसत्थो मिलेज्ज ताहे गीतत्थेसु रत्तिं चेव गेण्हइ । अगीतत्थमीसेस इमा जयणा - वत्थेण व पाएण व, निमंतएऽणुग्गए व अत्थमिए । आइच्चो उदिउ त्ति य, गहणं गीयत्थसंविग्गे ॥२९८५॥ "वत्थेण व०" गाहा । कण्ठ्या । एवं जइ गीतत्था, अह अगीतत्थ-मिस्सा ताहे अगीता

Loading...

Page Navigation
1 ... 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504