Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 445
________________ ३६४ विसेसचुण्णि [राईभत्तपगयं आगओ। बलियतरं आहओ। नस्संतो पढमस्स आरओ मओ । अन्नो वि सीहो आगओ । सो चिंतेइ-तइयं वारा सो चेव पुणो आगओ । ताहे बिइयाउ बलियतरं आहओ । नस्संतो बिइयस्स आरओ मओ । ताहे सो कल्ले आवस्सयवेलाए आलोएइ । सोऊण य पन्नवणं, कयकरणस्सा गयाइणो गहणं । सीहाई चेव तिगं, तवबलिए देवयट्ठाणं ॥२९६४॥ हंत म्मि पुरा सीहं, खुडुयाइ इयाणि मंदथामो मि । तिन्नाऽऽवाए सीहो, रत्तिं पहओ मया न मओ ॥२९६५॥ नितेहिं तिन्नि सीहा, आसन्ने नाइदूर दूरे य । निग्गयजीहा दिट्ठा, स चावि पुट्ठो इमं भणइ ॥२९६६॥ मा मरिहिइ त्ति गाढं, न आहओ तेण पढमओ दूरे । गाढतर बिइय तइओ, न य मे नायं जहऽन्नन्नो ॥२९६७॥ खमओ व देवयाए, उस्सग्ग करेइ जाव आउट्टा । रक्खामि जा पभायं, सुवंतु जइणो सुवीसत्था ॥२९६८॥ ["सोऊण."] "हंतम्मि पुरा०" ["नितेहिं०" "मा मरिहिइ०" "खमओ व०"] गाहा । कण्ठ्या । 'खुड्डयाए' त्ति खडुक्कियाहिं । सेसं कण्ठ्यम् । आलोएइ सुद्धो, नत्थि पच्छित्तं । “णितेहिं' ति मुच्चलंतेहि दिट्ठो । ॥ राईभत्तपगयं समत्तं ॥

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