Book Title: Kalyan Kalika Part 1 Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti JalorPage 11
________________ - - अते विधिविधानकारका तथा मुहूर्तादिना अर्थी ओने आ ग्रंथ सुलभ थतां खुबज उपयोगी नीवडशे तेवी आशा साथे आ ग्रंथ फरी प्रकाशित करेल छ पू. प. कल्याणविजयजी गणिवरनु योगदान श्री सघ उपर सविशेष छे. ते महापुरुषना आ ग्रथना पुनर्मुद्रण प्रसगे मने तेओने स्मरणाञ्जलि आपवानु आपवा बदल पू. गुरुदेव मुक्तिविजयजी म. पू. मुनिराजश्री वनसेनविजयजी म. सा. तथा श्री भंवरलाल सोनमलजी कोठारी जालोरवालाना आभार मानी विरमुछु.. प. मफतलाल झवेरचंद गांधी ४, सिद्धार्थ सोसायटी, पालडी, अमदावाद-७ १५-३-८७ (१) श्री जैन संघ गोल उमेदाबाद की तर्फ से प्रति १०० (२) मुथा मोहनलाल चंपालाल दीपचन्द , १०० (३) श्री पार्श्वनाथ आहार श्री जैन संघ आहोर की तरफ से श्री जैन संघ सरत (अमरसर) की तरफसे ,, १ श्री जैन संघ बालबाडा की तरफ से , १ (६) श्री जैन संघ मांडवलावालों की तरफसे ,, १०० (७) शा. गुणेशमल मुनीलाल बाबुलाल बेटापोता ताराजी निवासी बालवाडावालों की तरफ से (८) श्री जालोर जैन श्राविका चारथुइ संघ जालोर की तरफ से (९) मुथा रुपचन्द हरखचन्दजी सोनवाडीया निवासी मांडवलावालों की तरफ से , २५ ० ० ० ० ० ० ० ० ० ० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 702