Book Title: Kalpasutra Kalpalati Tika
Author(s): Bhadrabahuswami, Samaysundar Gani,
Publisher: Jinduttasuri Gyanbhandar

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Page 606
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir c ६०॥ श्रीरुंगद्यपद्यवासी निरडुतां कालि वन्दे निवे चाव्यविमलाबनावक म्यूविर चकाचा विरा मदावीरदेवनिवातासं पनापना पूर्वचि जातः तना गोद (रके विनाश के चिति शभिरिवा निमएवाश्स वीस वाली काल की राजाई/सकोप निबो विजेला इतिगामादर्शनात्रा २२०द निगाद विचारक घकः श्री कालिकाचा यांनानः । केचिइनि । नि सयपलवासदो। चसय विपन्न सरदर गदिया। नवरातिनि वेश्वराचधिप जो काल गायरिया। 1इ तिनिमूलप्रायगावाद उपाध्यायश्रीसमयसुन्दर मणिविरचित-कालिकाचार्यकथाया आदिमपत्रप्रतिकृतिः ०वि० सं० १६६६ [श्रीजिनरीद्वारा बीकानेरतः संप्राप्त ] For Private and Personal Use Only दो तवकालिक सबधः यतीन मध्यप १६ आस्मा नामाश्री दवश で

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