Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 23
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 374
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२३ ३६१ २१. पे. नाम. सिद्धाचल स्तवन, पृ. ३५आ-३६अ, संपूर्ण. शजयतीर्थ स्तवन, म. श्रीभद्र, मा.गु., पद्य, वि. १८७६, आदि: श्रीसिद्धाचल गिरवर भेटवा; अंति: श्रीभद्रनी फली आस, गाथा-८. २२. पे. नाम. आध्यात्मिक पद-भाद्रवमास, पृ. ३६अ-३६आ, संपूर्ण. म. अमर, पुहि., पद्य, आदि: भाद्रवडौ भल आयो हो भविजन; अंति: अजर अमर ध्रम पायौ री, गाथा-५. २३. पे. नाम. गुरुगुण गहुँली, पृ. ३६आ, संपूर्ण. उपा. मेघजी पाठक, मा.गु., पद्य, आदि: आंणी हरख अपार भला सुंदर; अंति: इम पाठक मेघजी बोलै, गाथा-५. २४. पे. नाम. दादैजिनकुशलसूरिजीरो स्तवन, पृ. ३६-३७आ, संपूर्ण. जिनकुशलसूरि स्तवन, मु. रूपचंद, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनकुशलसुरीसर साहिब; अंति: रूपचंद० आपीजै नवनिद्ध, गाथा-११. २५. पे. नाम. दादाजिनकुशलसूरि स्तवन, पृ. ३७आ-३८अ, संपूर्ण. जिनकुशलसूरि स्तवन, मु. अमर, मा.गु., पद्य, आदि: दादा सुख दीयै जाणी; अंति: दादा अमरनै अपणौ जाणीजै, गाथा-११. २६. पे. नाम, मोक्षपद स्तुति, पृ. ३८अ-३८आ, संपूर्ण. आदिजिन पद, मु. अमर, पुहि., पद्य, आदि: ऋषभ जिणेसर है अलवसर सकल; अंति: अमर० सिवपद दायिक सुखदाया, गाथा-५. २७. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३८आ-३९अ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन-केसरीयाजी धुलेवामंडन, मु. अमर, पुहिं., पद्य, आदि: सुणौ सदा सिव वात हमारी; अंति: अमर सुजस साता पावै, गाथा-१२. २८. पे. नाम. सद्गुरु स्तुति, पृ. ३९अ-३९आ, संपूर्ण. जिनकुशलसूरि स्तुति, मु. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनकुशलसुरिंद जी हो; अंति: अमरसिं० सुख दीजै श्रीकार, गाथा-१३. २९. पे. नाम. गुरुगुण पद, पृ. ३९आ-४०अ, संपूर्ण. मु. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: सदगुरु अरज सुणीजै देखी; अंति: जाणी राखीजै छत्र छांह, गाथा-३. ३०. पे. नाम. कुशलसूरि पद, पृ. ४०अ, संपूर्ण. जिनकुशलसूरि पद, मु. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: कुशलसूरीसर ध्यावो रे; अंति: अमर० दीजै सुख सहि नाणी रे, गाथा-३. ३१. पे. नाम. सद्गुरु स्तति, प. ४०अ-४०आ, संपूर्ण. गुरुगुण स्तुति-खरतरगच्छ, मु. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: दीपै गुरु देवीकोटै मतवंत; अंति: अमरेस द्यौ सुख सवायो हो, गाथा-८. ३२. पे. नाम. सद्गुरु स्तुति, पृ. ४०आ-४१अ, संपूर्ण. जिनकुशलसूरि स्तुति, मु. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनकुशलसूरीसरू राजै; अंति: अमरनै० ततखिण पूरौ आस रे, गाथा-६. ३३. पे. नाम. कुशलगुरु पद, पृ. ४१अ, संपूर्ण. जिनकुशलसूरि पद, मु. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: सुगुरु तै देव साचा है; अंति: अमर० सदा मुझ संपदा दीजै, गाथा-३. ३४. पे. नाम. जिनकशलसूरि पद, पृ. ४१अ-४१आ, संपूर्ण. म. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनकुशलसुरिंदजी इक; अंति: अमरसिं० अरीयण गंजो रे लो, गाथा-७. ३५. पे. नाम. जिनकुशलसूरि पद, पृ. ४१आ, संपूर्ण. मु. अमरसिंधूर, मा.गु., पद्य, आदि: सदगुरु भेटीजै सदा रे; अंति: सिंध० प्रणम्या सदगुरु पाय, गाथा-५. For Private and Personal Use Only

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