Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 23
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.२३
३८९
१५. पे. नाम, पंचम स्तुति, प. १४अ-१४आ, संपूर्ण. नेमिजिन स्तुति, क. ऋषभदास संघवी, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदिः श्रावण सुदि दिन; अंति: सफल करो अवतार तो,
गाथा-४. १६. पे. नाम. शत्रुजयतीर्थ स्तुति, पृ. १४आ-१५अ, संपूर्ण. श्राव. ऋषभदास, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशत्रुजय तीरथसार; अंति: (-), (अपूर्ण, पू.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण., गाथा-२
अपूर्ण तक लिखा है.) १७. पे. नाम, आत्मगीत प्रभाती, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
औपदेशिक सज्झाय-षड्दर्शनप्रबोध, म. रूपचंद, पुहि., पद्य, आदि: ओरन से रंग न्यारा; अंति: रुपचंद० चरणचित
तिहां रहि, गाथा-९. १८. पे. नाम, नाकोडापार्श्व स्तवन, पृ. १६आ, संपूर्ण.. पार्श्वजिन छंद-नाकोडामंडन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: आपण घर बेठा लील करो; अंति:
कहै गुण जोडो, गाथा-८. १९. पे. नाम. शेजगिरि स्तवन, पृ. १८अ, संपूर्ण.
शत्रुजयतीर्थ स्तवन, पंन्या. पद्मविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जात्रा नवाणुं करीये; अंति: पद्म कहै भव तरीयै, गाथा-१०. २०. पे. नाम, सिद्धचक्र स्तवन, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण...
मु. माणेक, मा.गु., पद्य, आदि: ऐहवे वीर समोसर्यो सुखदाई; अंति: तीरथ धरे जिनगुण अंग हो, गाथा-६. २१. पे. नाम. सिद्धचक्र स्तवन, पृ. १८आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
__मा.गु., पद्य, आदि: सिद्धचक्र सेवो भवी प्राणी; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-४ अपूर्ण तक है.) ९८४२४. (+) आषाढभूति चतुष्पदिका, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ६, प्रले. पं. रंगप्रमोद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. हुंडी:श्रीआषाढ०.चउपई., टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२२४९.५, १५४३५-४१). आषाढभूति चौपाई, पं. गुणविनय गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६७२, आदि: पणमिय विमल विमलमतिदाई; अंति: जिम
पूजई मननी सवि आस, गाथा-१५४. ९८४२७. (+) सूक्तमाला, संपूर्ण, वि. १८१२, पौष शुक्ल, १०, श्रेष्ठ, पृ. ८, ले.स्थल. सोजित, राज्यकाल रा. विजयसिंघ,
प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अंत में "रामसिंघ विजैसंघ विग्रहसमये" ऐसा लिखा है., टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२४४९.५, १५४४४-४८).
सूक्तमाला, मु. केशरविमल, मा.गु.,सं., पद्य, वि. १७५४, आदि: सकलकुशलवल्लि; अंति: तेइ मोक्षसाधि जि केइ,
वर्ग-४, श्लोक-१७६. ९८४३१ (+) नलदमयंति रास, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ७-१(५)=६, पू.वि. बीच व अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२५४१०, १२४३८-४४). नलदमयंती चरित्र, वा. ज्ञानसागर, मा.गु., पद्य, वि. १७५८, आदि: प्रणमु पारसनाथना चरण कमल; अंति: (-),
(पू.वि. ढाल-४ गाथा-२ से ढाल-६ गाथा-११ अपूर्ण तक व ढाल-७ गाथा-१४ अपूर्ण से नहीं है.) ९८४३३. पद, सज्झाय व स्तवनादि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ५, कुल पे. ११, दे., (२२४१०, १०४३२). १. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, प. १अ, संपूर्ण.
आ. जिनलाभसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: विनय सजीने साहिबा; अंति: श्रीजिनलाभसुरीश, गाथा-५. २. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण.
आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंखेश्वर पासजिन; अंति: सयल रिपु जीपतो, गाथा-५. ३. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, पृ. १आ, संपूर्ण. म. नेम, पुहिं., पद्य, आदि: आसणरा रे जोगी पासजिण; अंति: (-), गाथा-७, (अप f, प.वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण.,
गाथा-१ अपूर्ण तक लिखा है.) ४. पे. नाम. बार व्रत सज्झाय, पृ. २अ-२आ, संपूर्ण.
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