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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ९८६४६. आध्यात्मिक गीत-देहस्थहंस व नरकवेदना वर्णन चौपई, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १४-८(२ से ६,८,१०,१३)=६,
कुल पे. २, जैदे., (२१.५४११, १०x२८-३२). १.पे. नाम. आध्यात्मिक गीत-देहस्थहंस, पृ. १अ-१आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
मु. हंसतिलक, मा.गु., पद्य, आदि: अरिहंतदेव सुसाध गुरु; अंति: (-), (पू.वि. गाथा-१५ अपूर्ण तक है.) २.पे. नाम. सूत्रकृतांगसूत्र-प्रथम श्रुतस्कंध अध्ययन ५ नरकविभक्ति वर्णन सह नरकवेदना वर्णन चौपाई, पृ. ७अ-१४आ,
अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ, बीच व अंत के पत्र नहीं हैं. सूत्रकृतांगसूत्र-प्रथम श्रुतस्कंध अध्ययन ५ नरकविभक्ति वर्णन, हिस्सा, आ. सुधर्मास्वामी, प्रा., पद्य, आदि: (-);
अंति: (-), (पृ.वि. श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-५ उद्देश-१ की गाथा-१५ से गाथा-१९ तक है व बीच-बीच के पाठांश नहीं
सूत्रकतांगसूत्र-प्रथम श्रुतस्कंध अध्ययन ५ नरकविभक्ति वर्णन का नरकवेदना चौपाई, संबद्ध, मा.ग., पद्य, आदि:
(-); अंतिः (-). ९८६४७. (+) पोषह विधि, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १५, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., दे., (२२४११, ६४९-२०). पौषध विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु., गद्य, आदि: पोसा त्रण प्रकारना; अंति: (-), (पू.वि. सामायिक पारने की विधि अपूर्ण तक
है., वि. श्राद्धविधि प्रकरण प्रकाश-२ से उद्धृत है.) ९८६४८. (+-) भक्तामर, कल्याणमंदिर व लघुशांति स्तोत्र, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १२-१(१)=११, कुल पे. ३, प्र.वि. अशुद्ध
पाठ-संशोधित. मूल पाठ का अंश खंडित है, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२१.५४११.५, १३४१७-२४). १.पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. २अ-५आ, अपूर्ण, पृ.वि. प्रथम पत्र नहीं है.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: मानतुंग० लक्ष्मीः , श्लोक-४४, (पू.वि. श्लोक-९ अपूर्ण से है.) २. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. ५आ-१०आ, संपूर्ण..
आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, वि. १वी, आदि: कल्याणमंदिरमुदारमवद्यभेदि; अंति: मोक्षं प्रपद्यते, श्लोक-४४. ३. पे. नाम. लघुशांति स्तोत्र, पृ. ११अ-१२आ, संपूर्ण.
लघशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांत्यं शंति निशंत्यं; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. ९८६४९ (+#) नमस्कार माहात्म्य व स्तोत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ५९-४९(१ से ३७,४३,४६ से ५१,५३ से ५४,५६ से
५८)=१०, कुल पे. ४, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरे-संशोधित. मूल पाठ का अंश खंडित है, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२०.५४११.५, ११४२८-३४). १.पे. नाम. नमस्कार माहात्म्य, पृ. ३८अ-४५अ, अपूर्ण, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं.
आ. सिद्धसेनसरि, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. प्रकाश-५ श्लोक-७ अपूर्ण से प्रकाश-७ श्लोक-१६ अपूर्ण तक
व प्रकाश-७ श्लोक-३८ अपूर्ण से हैं.)। २. पे. नाम. पार्श्वजिन बृहत्कल्पस्तोत्र, पृ. ४५अ-४५आ, अपूर्ण, पृ.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
सं., पद्य, आदि: भुजगेंद्रनिर्मितमहं; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक-१२ अपूर्ण तक है.) ३. पे. नाम. तीर्थमाला स्तवन, पृ. ५२अ-५५आ, अपूर्ण, पू.वि. बीच-बीच के पत्र हैं. ___मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. बीच-बीच का पाठांश है.) ४.पे. नाम. पार्श्वजिन मंत्राधिराज स्तोत्र, पृ. ५९अ-५९आ, अपूर्ण, पृ.वि. मात्र बीच का ही एक पत्र है.
सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. श्लोक-७ अपूर्ण से २७ अपूर्ण तक है.) ९८६५१. नवस्मरण, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १६-४(१,८,११,१५)=१२, पू.वि. प्रथम एक, बीच व अंत के पत्र नहीं हैं, दे., (२०४११.५, १२४२१-२५). नवस्मरण, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा.,सं., प+ग., आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. उवसग्गहर स्तोत्र गाथा-५ से बृहत्
शांति पाठ "त्रिलोकेश्वरास्त्रिलोकोद्योतकराः" तक है व बीच-बीच के पाठांश नहीं है., वि. कल्याणमंदिर स्तोत्र नहीं लिखा है.)
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