Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 23
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 525
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५१२ संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनभक्ति, सं., श्लो. ९, पद्य, मप., (जय जय गोडीजी महाराज), ९६९५५-८(+) पार्श्वजिन स्तवन-घोघामंडन, आ. ज्ञानसागरसूरि, सं., श्लो. १६, पद्य, मप., (अंभोधिवीचिचयचंबितभ), ९७९६२-३(+$) पार्श्वजिन स्तव-शंखलाबंध, मु. जैनचंद्र, सं., श्लो. ७, पद्य, मपू., (सर्वदेवसेवितपदपा), ९९५२८-५५ पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनतीर्थ, सं., श्लो. २, पद्य, मप., (श्रीसेढीतटिनीतटे), ९७९२९-१२(+#), ९८१५६-२(+#) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मपू., (अमरगिरिशिरस्थस्फार), ९८४२३-९ पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (दसावतारो भुवनैकमल्लो), ९७९२९-१३(+#) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. १९, पद्य, मप., (देवपूजा दया दानं तीर्थ), ९५७३९-२($) (२) पार्श्वजिन स्तुति-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (श्रीअरिहंतनी पूजा करवी), ९५७३९-२($) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मप., (हर्षनतासुरनिर्जरलोकं), ९५३१३-४५(+), ९८०९३-१३(+), १००८४९-५($) पार्श्वजिन स्तुति-अष्टविभक्तियुक्त, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (पार्श्वः पातु नतांग), ९९७१२-८(+) पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मप., (नै दें कि धप), ९५३१३-४०(+), ९५८०२-२(+), ९६४०९-१५(+), ९७६६५-१५(+), ९७९२९-८(+#), ९८०९३-२३(+$), ९८१५६-७(+#), ९५४४२-१७(#) पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित, सं., श्लो. ४, पद्य, मपू., (श्रीसर्वज्ञं ज्योतिरूपं), ९५३१३-३८(+), ९८१५६-८(+#), १००८४९-४ पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित जेसलमेरमंडन, सं., श्लो. ४, पद्य, मप., (शमदमोत्तमवस्तुमहापणं), ९५३१३-४४(+), ९७९२९-६(+#), ९८०९३-२२(+), ९८१५६-९(+#), ९५४४२-९(2), १००८४९-१(६) पार्श्वजिन स्तति-शंखेश्वरतीर्थ, मु. कल्याणविजय-शिष्य, सं., श्लो. १, पद्य, मप., (श्रीशंखेश्वरतीर्थेश), ९९८७१-८(+) पार्श्वजिन स्तोत्र, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., गा. १५, पद्य, मपू., (गुणमणिनिहिणो जस्सुवरि फणि), ९६२३८-५ पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ८, पद्य, मपू., (श्यामो वर्ण विराजिते), ९६८८८-१ पार्श्वजिन स्तोत्र-कलिकुंड, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं तं नमह), ९५२८३-११(+) पार्श्वजिन स्तोत्र-गोडीजी, मु. रामविजय, मा.गु.,सं., गा. १४, पद्य, मूपू., (नमु सारदा सार), ९५४९२-१० पार्श्वजिन स्तोत्र-चिंतामणि, आ. कल्याणसागरसूरि, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (किं कर्पूरमयं सुधारस), ९५०५६(+), ९८१५६-१८(+#), ९९४७७-१(+) (२) पार्श्वजिन स्तोत्र-चिंतामणि-अवचरि, उपा. भोजसागर, सं., गद्य, मप., (ॐ ह्रीं चिंतामणि प्रायं), ९५०५६(+) पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहस्तुतिगर्भित, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., गा. १०, वि. १४वी, पद्य, मूपू., (दोसावहारदक्खो नालिया), ___ ९५३१३-३१(+), ९७०४५-३(+), ९७५१३-८(+#$), ९८०६२-४(+#), ९८११२-५(+) पार्श्वजिन स्तोत्र-शंखेश्वरमंडन, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (ॐ नमः पार्श्वनाथाय), ९५८१४-५(+), ९८३९०-३(+), ९८७१८-२(+#), ९९७१२-१०(+), १००६६०-६(+), ९७२७४-२ पार्श्वजिन स्तोत्र-शृंखला वृद्धिकाव्य, सं., श्लो. ७, पद्य, मूप., (सुरनरासुर नायक पूजित), ९९४७७-२(+) पार्श्वजिन स्तोत्र-स्तंभनतीर्थ, आ. तरुणप्रभसूरि, सं., श्लो. ११, पद्य, मपू., (श्रीस्तंभनस्तंभनपार्श्व), ९६५२२-१२(+) पाशाकेवली, मु. गर्ग ऋषि, सं., श्लो. १९६, पद्य, म्पू., वै., इतर, (महादेवं नमस्कृत्य), ९४९२७(+), ९५७२५(+), ९६७५१(+#), ९७५३२(+#), ९७६५३(+#), ९८१९०(+$), ९८२८२(+$), १००५८८(+), १००६६७-१(+), १००९४०-१(+), ९६८५७, ९७२६६, ९९६२९, ९६४४९(2), १०००३८() (२) पाशाकेवली-पाशा ढालन विधि, संबद्ध, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., वै., इतर, (ॐ नमो भगवती कुष्मांड), ९८२८२(+s), ९७२११-२ (२) पाशाकेवली-भाषा, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., इतर, (१११ उत्तम थानक लाभ), ९४९८०(+), ९६१३९(+), ९६१४६(+), ९६३८०(+#$), ९७६२२(+), ९७९७५-२(+#$), १००३१३(+#$), ९७२११-१, ९९५९३, १००११७, १००६२१, ९६०११(२), ९९५९१(१), १००१११(#$), १००८२०(#$), ९६१३५(s), १००४१३($) पिंडविशद्धि प्रकरण, आ. जिनवल्लभसरि, प्रा., गा. १०३, पद्य, मप., (देविंदविंदवंदिय पयार), ९६३६४(+#), ९८९९२-२(+) (२) पिंडविशुद्धि प्रकरण-अवचूरि, सं., गद्य, मपू., (देवि० शोभनं विहित), ९६३६४(+#) पिपीलिका विचार गाथा संग्रह, प्रा., गा. ९, पद्य, भूपू., (घयतिल्लनेह कुंकुम), ९५४५७-३(+) For Private and Personal Use Only

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