Book Title: Jinabhashita 2006 12 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 3
________________ रजि. नं. UPHIN/2006/16750 दिसम्बर 2006 वर्ष 5, अङ्क 12 मासिक जिनभाषित सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन अन्तस्तत्त्व पृष्ठ आ.पृ. 2 कार्यालय ए/2, मानसरोवर, शाहपुरा भोपाल-462 039 (म.प्र.) फोन नं. 0755-2424666 आ.पृ. 3 आचार्य श्री विद्यासागर जी के दोहे . आचार्य श्री विद्यासागर जी के प्रवचनांश . स्तवन : मुनि श्री योगसागर जी • श्री विमलनाथ-स्तवन • श्री अनन्तनाथ-स्तुति आ.पृ.4 सहयोगी सम्पादक पं.मूलचन्द्र लुहाड़िया, मदनगंज किशनगढ़ पं. रतनलाल बैनाड़ा, आगरा डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर सम्पादकीय : दिगम्बर जैन परम्परा को मिटाने की सलाह शिरोमणि संरक्षक श्री रतनलाल कँवरलाल पाटनी (मे. आर.के.मार्बल) किशनगढ़ (राज.) श्री गणेश कुमार राणा, जयपुर - गाँधी जी और चम्पतराय जी के पारस्परिक पत्र . लेख • दिगम्बरत्व का महत्त्व : स्व. डॉ. ज्योतिप्रसाद जी जैन 15 • शुभभाव कर्मक्षय का कारण : मुनिश्री प्रणम्यसागर जी 17 • समाधिमरण : तुलना एवं समीक्षा : प्रो. डॉ. सागरमल जैन 19 • मिथ्याप्रचारकों से सावधान : पं. पुलक गोयल शास्त्री 24 • सन्तों की आड़ में आत्मघाती खेल न खेलें : डॉ. राजेन्द्र कुमार बंसल 27 • आओ एक अभियान चलाएँ : शैलेष जैन शास्त्री . जिज्ञासा-समाधान : पं. रतनलाल बैनाड़ा संस्मरण • उपाधि निर्मलता • अभिशाप बना वरदान प्रकाशक सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा-282 002 (उ.प्र.) फोन : 0562-2851428, 2852278| सदस्यता शुल्क शिरोमणि संरक्षक 5,00,000 रु. परम संरक्षक 51,000 रु. संरक्षक . 5,000 रु. आजीवन 500 रु. वार्षिक 100 रु. एक प्रति 10 रु. सदस्यता शुल्क प्रकाशक को भेजें। समाचार लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। जिनभाषित से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिये न्याय क्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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