Book Title: Jinabhashita 2006 12
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 32
________________ पंक्तियाँ याद आ रही हैं भाइयो मानो बुरा मत ये गुरु के बैन हैं। आपसे ही पूँछता क्या आप सचमुच जैन हैं? जिस अदालत में गवाही जैन जज है जानता। फिर नहीं कोई सुनाई थी यहाँ तक मान्यता॥ अब हमारी मान्यता को मानता ही कौन है? आपसे ही पूंछता क्या आप सचमुच जैन हैं? कौन थे क्या हो गये आदर्श हमने खो दिए। प्यार के गुलशन में हमने घृणा के बीज बो दिए। देखकर कौतुक घृणा से दिल हमारे भर रहे। अब हमारे आचरण बदनाम जिनमत कर रहे ॥ जो हुआ सो हुआ अब तो भाई जैनी बनें। जाति से ही नहीं केवल, धर्म से भी जैनी बनें। घर में छन्ना देखकर जैनी हमें सब जान लें भूलकर भी रात में न खायें बात इतनी मान लें। गर्व से फिर कह सकेंगे कर्म से भी जैन हैं। के.डी. जैन पब्लिक स्कूल, मदनगंज-किशनगढ़ (राज.) पूर्व का इतिहास देखो किस तरह स्थान था। सत्य संयम का हमें पाकर बडा अभिमान था। थी हमारी धाक तब तक पाप हम बोते न थे। चेक जैनों के टिकिट ट्रेनों में तब होते न थे। समाचार दिगम्बर जैन डॉक्टरों का सम्मेलन श्रीक्षेत्र सम्मेद । महाराज का चातुर्मास हुआ था। चातुर्मास के दौरान विभिन्न शिखर जी में सम्पन्न धार्मिक, सांस्कृतिक आयोजन होते रहे। चातुर्मास के समापन - "ऑल इंडिया दिगम्बर जैन डॉवटर्स फोरम" तथा | अवसर पर पूज्य मुनिद्वय के सान्निध्य में श्री १००८ सिद्धचक्र "मनि श्री १०८ प्रमाणसागर जी वर्षायोग समिति श्री सम्मेद | महामंडल विधान एवं विश्वशांति महायज्ञ' का विशाल स्तर शिखरजी," इनके संयुक्त तत्त्वावधान में, हाल ही में जैनों के | पर आयोजन किया गया। इस दौरान पूरे गाँव को दुल्हन की परमपावन तीर्थाधिराज सम्मेद शिखरजी में द्वितीय अखिल | भाँति सजाया गया था, प्रमुख मार्ग झण्डे बैनर त पोस्टरों से दिगम्बर जैन डॉक्टरों का सम्मेलन संपन्न हआ, जिसे आचार्य | लदे हुए थे। श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के शुभाशीप तथा प.पू. १ नवम्बर से ८ नवम्बर तक चले इस आयोजन का १०८ मुनिश्री प्रमाणसागर जी का सान्निध्य प्राप्त था। समापन ८ नवम्बर को विशाल रथयात्रा के पश्चात् हुआ। प.पू. मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा- "ध्वजारोहण विक्रम चौधरी कर डॉक्टरों ने धर्मध्वजा हाथ में लेने का संकल्प किया है। डॉक्टरों को अपने मरीजों की सेवा को ही धर्म मान उसे शुद्धात्मप्रकाश भारिल्ल सम्मानित मानवतापूर्वक निभाना चाहिए। क्षेत्र की गरीब जनता के सुप्रसिद्ध विद्वान् पण्डित रतनचन्द भारिल्ल के पुत्र स्वारथ्य सुधार तथा जीवन सुधार के लिए समाज तथा सरकार युवा उद्यमी श्री शुद्धात्मप्रकाश भारिल्ल, जयपुर को इन्दिरा को मिलकर प्रयास करने चाहिए।" गाँधी प्रियर्शिनी पुरस्कार २००६ से सम्मानित किया गया। डॉ. अभय दगडे कोपरगाँव-४२३ ६०१ । इससे पूर्व यह पुरस्कार मदर टेरेसा जैसी विश्वप्रसिद्ध तारादेही में ऐतिहासिक धर्मप्रभावना अनेक हस्तियों को मिल चुका है। तारादेही (दमोह म.प्र.) ग्राम में संत शिरोमणि आचार्य श्री भारिल्ल अपने करीब ३० हजार व्यावसायिक सहयोगियों के साथ देश भर में स्वतंत्र उद्यमिता एवं नैतिक । गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के अनुज्ञावी शिष्य मुनि जागरण के लिए कार्यरत हैं। श्री पुष्पदंतसागर जी महाराज एवं मुनि श्री कुन्थुसागर जी | . 39 दिसम्बर 2006 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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