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को मानने से इनकार कर देंगे कि सभी धर्मों के प्रति समभाव रखना ही सरकार की सर्वोत्तम नीति है । यदि कोई विधायक ऐसा महसूस करता है कि कुछ धार्मिक चीजें उसके दृष्टिकोण या श्रद्धा के अनुरूप नहीं हैं, तो वह अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से उन व्यक्तियों या समुदायों का विरोध करने को ही कहेगा जो समाज में विवेकहीनता, विद्वेष और सहनशीलता-रहित वातावरण पैदा करना चाहते हैं ।
मेरे आदरणीय मित्र ! इस पत्र के उपसंहार के रूप में क्या मुझे यह लिखने की इजाजत देंगे कि आपने अपने लेख में जिन काम-वासनाओं और पाप-क्रियाओं का उल्लेख किया है, वे सही नहीं हैं और मैं इस सम्बन्ध में आपसे या किसी भी अन्य व्यक्ति से चर्चा करने को तैयार हूँ, जिससे मैं यह सिद्ध कर सकूँ कि आपके विचार सही नहीं हैं। मैं इस समय केवल यही कहना चाहूँगा कि जैन संत तीर्थंकरों को छोड़कर किसी अन्य से धार्मिक मार्गदर्शन नहीं ले सकते। क्या मेरी यह माँग अधिक है कि जैनियों को अपनी 'मूर्खताओं' का पालन किसी अन्य के हस्तक्षेप के बिना ही करते रहने दिया जाय ?
विश्वास कीजिये,
आपके कई गुणों का समर्पित प्रशंसक (चम्पतराय जैन )
विद्यावारिधि, जैन दर्शन दिवाकर,
बार-ऍट - ला एवं दि. जैन परिषद् का आजीवन अध्यक्ष
श्री चम्पतराय जी को गाँधी जी द्वारा साबरमती से दिया गया उत्तर
श्रीयुत चम्पतराय जैन
द्वारा - इम्पीरियल बैंक ऑफ इन्डिया,
22, ओल्ड ब्रेड स्ट्रीट,
लन्दन ई.सी. 2.
प्रिय मित्र,
मुझे आपका 1 जुलाई का पत्र प्राप्त हुआ है। मैं आपको उसके लिये धन्यवाद देता हूँ ।
मैं आपसे वार्ता करने का साहस नहीं रखता। मैंने अपने स्वयं के विचारों को सरल ढंग से सावधानीपूर्वक (जो सम्भव था ) व्यक्त किया था। जब मैंने अपने विचार व्यक्त किये थे, उस समय वे सभी बातें, जो आपने अपने पत्र में लिखी हैं, मेरे सामने थीं । सेन्ट पॉल के मतानुसार बहुत सी चीजें कानून की दृष्टि से ठीक होते हुए भी उचित नहीं होतीं ।
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श्री चम्पतराय जी का गाँधी जी को प्रत्युत्तर
जुलाई 30, 1931
द्वारा- इम्पीरियल बैंक ऑफ इन्डिया लि.
22, ओल्ड ब्रेड स्ट्रीट,
लन्दन, ई. सी. 2.
(जिनेवा) 24 अगस्त, 1931
प्रिय महात्मा जी,
आपका 30 जुलाई का लिखा हुआ पत्र मुझे यहाँ जिनेवा में, जहाँ इस माह मैं कुछ दिन व्यतीत कर रहा हूँ, प्राप्त हुआ है। मैं आपके तत्परतापूर्वक दिये गये उत्तर के लिये धन्यवाद देना चाहता हूँ, क्योंकि यह विषय जैन समुदाय के लिये अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है ।
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आपका
मो. क. गाँधी
दिसम्बर 2006 जिनभाषित 13
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