________________
मिल जायेगी। हर चीज-जिसकी भी हमें इच्छा है। कृष्ण भावना की विधि से हमारे हृदय की सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जायेगी।
जिसकी कृष्ण-भावना में मृत्यु होती है, जैसा कि पहले कहा गया है उसके लिए कृष्ण लोक में, जहाँ कृष्ण भगवान् निवास करते हैं, जाना निश्चित है। इस बात पर कोई प्रश्न पूछ सकता है कि वहाँ जाने से क्या लाभ है ? इसका उत्तर कृष्ण भगवान् ने स्वयं ही दिया है:
“मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्। . नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धि परमां गताः ।।
(भ.गी. ८:१५) "मुझे पाने के बाद, महान् आत्मायें, जो भक्ति योगी हैं, वे इस दुःखों से भरे तथा अनित्य संसार में फिर वापिस नहीं आते हैं। क्योंकि उन्हें सबसे उत्तम सिद्धि प्राप्त हो गई है।" ___ इस संसार की सृष्टि करने वाले, कृष्ण भगवान् ने इसे दुःखों से पूर्ण स्थान बताया है-दुःखालयं। तो हम इसे आराम दायक कैसे बना सकते हैं ? क्या इस आडम्बरी विज्ञान की प्रगति से इस संसार को आरामदायक बनाना सम्भव है ? नहीं यह सम्भव नहीं है। यहाँ तक कि इसके परिणाम में हम यह भी नहीं जानना चाहते हैं कि असली दुःख क्या है। जैसा कि पहले बताया गया है कि दुःख जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था और बीमारी हैं और हम इसे हल नहीं कर पाते हैं, हम इसे टालने का प्रयत्न करते हैं। विज्ञान के पास इन दु:खों की समस्याकों का, जो हमें सदैव कष्ट देते हैं, कोई हल नहीं है। इसके विपरीत वे हमारे ध्यान को हवाई जहाज और अणु बम्ब बनाने की ओर ले जाते हैं। इन समस्याओं का हल भगवद् गीता में दिया गया है : यदि कोई कृष्ण भगवान का धाम पा ले तो उसे इस जन्म और मृत्यु वाली धरती में फिर वापिस नहीं आना होता है। हमें यह समझने का प्रयत्न करना चाहिए कि यह जगह दुःखों से पूर्ण है। इसको समझने के लिए कुछ उच्च बुद्धिमत्ता चाहिए। कुत्ते, बिल्ली और सूअर नहीं समझ सकते