Book Title: Janma Aur Mrutyu Se Pare
Author(s): A C Bhaktivedant
Publisher: Bhaktivedant Book Trust

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Page 56
________________ जब हम उनके नाम का कीर्तन करें तो कृष्ण भगवान् स्वय हमारे साथ रहें ? वे हमारे साथ रहेंगे परन्तु हमें उनकी सङ्गत के योग्य बनना चाहिए। यदि किसी प्रकार हम कृष्ण भगवान् के विचार में मशगुल हो जायें तो हमें निश्चित रहना चाहिए कि कृष्ण भगवान् हमारे साथ हैं। चैतन्य महाप्रभु प्रार्थना करते हैं- ' . नाम्नामकारि बहुधा निजसर्वशक्ति । स्तत्रापिता. नियमितः स्मरणे न कालः ।। एतादृशी तव कृपा भगवन्ममापि । दुर्दैवमीदृशमिहाजनि नानुरागः ॥२॥ "हे मेरे भगवान् ! आपका पवित्र नाम ही हर जीव का कल्याण कर सकता है इसलिए आपके हजारों और करोड़ों नाम हैं जैसे-कृष्ण, गोविन्द इत्यादि। इन परम नामों में आपने अपनी सभी परम शक्तियां भर दी हैं और इन नामों के कीर्तन करने के लिए कोई विशेष नियम भी नहीं हैं । हे मेरे भगवान् ! आपने अपने नामों से इतनी सरलता से अपने आप को पाने योग्य बना लिया है परन्तु मैं इतना अभाग्यवान् हूँ कि मुझे इनसे कोई अनुराग नहीं है। ___ केवल कीर्तन से ही हम भगवान् की सङ्गत के सभी लाभ पा सकते हैं। चैतन्य महाप्रभु जो केवल एक महान् आत्मदर्शी सन्तपुरुष ही नहीं बल्कि कृष्ण भगवान् के अवतार माने जाते हैं उन्होंने कहा है कि यद्यपि कलियुग में आत्म निर्वाण की कोई . वास्तविक सुविधा नहीं है फिर भी कृष्ण भगवान् इतने दयालु

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