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आयेगा और ऊपर उठायेगा। यदि कोई आता है-और पानी से कुछ फिर ऊपर उठाता है तो तुरन्त शान्ति मिल जाती है। इसी प्रकार यदि हम इस जन्म और मृत्यु के सागर से कृष्णभावना की विधि से ऊपर उठाये जाते हैं तो हमे तुरन्त शान्ति मिल जाती है।
यद्यपि हम भगवान ,उसके नाम,उनकी प्रसिद्धि,और उनके कार्यों की परम प्रकृति को नहीं देख सकते हैं फिर भी यदि हम अपने आप को कृष्णभावना में स्थिर करें तो भगवान धीरे धीरे स्वयं प्रकाशित होगे। हम भगवान को अपनी चेष्टा से नहीं देख सकते हैं परन्तु यदि हम योग्य बन जायें तो भगवान स्वयं प्रकाशित होंगे और तब हम उन्हें देखेंगे। कोई भगवान को आज्ञा नहीं दे सकता है कि भगवान आओ और नाचो,परन्त हमें इस प्रकार कार्य करना चाहिए कि कृष्ण भगवान प्रसन्न होकर स्वयं प्रकाशित होगे।
कृष्ण भगवान भगवद्गीता में अपने विषय मे माहिती देते हैं, इसमे संशय करने का कोई प्रश्न नहीं है.हमें केवल अनुभव करना है और समझना है। भगवद्गीता को समझने के लिए किसी प्रारम्भिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह परमेश्वर से बोली गयी है। केवल कृष्ण भगवान के नाम के कीर्तन की सीधी सादी विधि ही एक के बाद एक हर चीज को प्रकाशित करेगी कि कोई क्या है, भगवान क्या हैं,यह संसार और वैकुण्ठ क्या है, हम बन्धन में क्यों हैं,हम इस बन्धन से मुक्ति कैसे पा सकते हैं-वास्तव में पहले श्रद्धा और बाद मे प्रकाशित होना यह विधि हमारे लिए कोई विदेशी बात नहीं है। हर दिन हम किसी न किसी चीज पर जिसमें भरोसा होता है,विश्वास करते हैं और . जो बाद में प्रकाशित होती है। हम भारत जाने के लिए टिकट खरीद लेते