Book Title: Jalpmanjari Author(s): Pungav Prachya Muni, Lalitvijay Publisher: Atmanand Sabha View full book textPage 2
________________ ॥ निवेदन ॥ महाशय वाचकवृन्द ! माज आपके करकमलोंमें अपूर्वग्रन्थरूप उपहार समर्पण किया जाता है। भाशा है कि आप । सम्बन इस यत्न संपादित प्रन्धरत्नकों सहर्ष स्वीकारकर ग्रन्थकर्ताके अनल्प प्रयासकों सफलता देंगे। इस जसमंजरी नामक ग्रन्थकों किस विद्वानने किस समयमें निर्माण किया है, इस विषयका कोई निश्चित साधन न मिलनेसें इसबातका कुछमी उल्लेख नहीं करशकताहूं । यह संशोधक भाप सज्जनोंसेंही निवेदन करता है कि प्रस्तुत ग्रन्थ यत्कर्तकहो उसकी सूचना देकर उपकृत करें । ग्रन्थ संशोधनके समय सिर्फ एकही पुस्तक मुनिमहाराजश्री मानविजयजीद्वारा प्राप्त हुआहै । मता एकही प्रतिके आधारसे प्रस्तुत प्रन्थ संशोधन किया गया है । जिससे किसीभी स्थानपर जो कोईभी स्खलना हुईहो या लेखक शोधक अक्षरयोजकका प्रमाद हुआहो तो उसे सुधारकर वांचनेकी प्रार्थना है । यह पुस्तक सद्गत निजजननी श्रीमति जेठीवाईके स्मरणार्थ श्रीमाद्विजयानन्दसूरि (आत्मारामजी ) महाराजके प्रशिष्य मुनिमहाराजश्री अमृतविजयजीके शिष्य मुनिमहाराजश्री किर्तिविजयजीने उपदेशद्वारा बडनगर निवासी निजभ्राता त्रिभुवनदास उमेदरामसें प्रकाशित करवाया है। संवत-१६७४-भाषाढ कृष्ण अष्टमी-राजनगर. निवेदक-मुनिश्री वल्लभविजयजी चरणचंचरिक मुनि ललितविजय । - -Page Navigation
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